पानी की तलाश: बस्तियों में घुसने लगे जंगली जानवर

टीकमगढ। बुन्देलखण्ड का अति पिछडा जिला टीकमगढ। जिले की सभी विधानसभा क्षेत्र के  रहवासियो को वर्तमान समय में दोहरे संकट से गुजरना पड रहा है। जिला प्रशासन द्वारा इस ओर कोई सार्थक पहल नही की जा रही है। सिर्फ कागजी घोडे दौडाये जा रहे है, जिसकी प्रशंसा जनता द्वारा चुने गये बिधायक, सांसद, जनप्रतिनिधियो के मुॅह से आसानी से सुनी जा रही है। 

प्राकृतिक आपदा पडने से जिला में जल संकट गहरा गया है। पानी के लिये मारामारी होने लगी है। अभी अप्रैल का महिना चल रहा है। मई जून माह में कैसे हालत होंगे कुछ कहा नही जा सकता है। अभी हालत इतने खराब बने हुये है। की लोगो को अपना कंण्ठ तर करने के लिये। पानी के लिये दो चार होना पड रहा है। प्राकुतिक आफत आने से कुॅआ बावरी, नदी तालाब, पहले सूखे पडे है। जिससे धरती का जलस्तर काॅफी नीचे पहुॅच गया है। मानव प्राणी के साथ साथ बुेजुवान जानवर पानी के अभाव में काल के गाल में समाते जा रहे है। बेजुवान जानवरो को पानी नसीब नही हो रहा है। जंगली नील गाय, मवेशी, जंगल के जलस्रोत्र सूखने से गाॅव नगर की ओर भाग रहे है। घास और पानी के लिये लेकिन गाॅव में प्रवेश करने के पहले ही ग्रामीणो द्रारा भागा दिया जाता है। जिससे घास पानी की तलाश करते करते दम तोडते नजर आ रहे है। 
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