इंदौर। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और महू के विधायक कैलाश विजवर्गीय के खिलाफ हाई कोर्ट में लगी चुनाव याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई। इस सुनवाई में प्रेस फोटोग्राफर पहले तो पलट गया लेकिन जब प्रतिपरीक्षण हुआ तो सारी बातें स्वीकार कर लीं। याद दिला दें कि इस मामले में एक आरोपी सीएम शिवराज सिंह चौहान भी हैं।
याचिका में बयान देने के लिए एक वर्ष में कई बार समन जारी होने के बाद पेश नहीं हुए गवाह एवं प्रेस फोटोग्राफर वीरेंद्र रायकवार को गुुरुवार को पुलिस कस्टडी में जेल से लाकर पेश किया गया। हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी बयान देने के लिए उपस्थित नहीं होने पर हाई कोर्ट ने पिछले दिनों रायकवार के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया था। दो दिन पहले पुलिस ने उन्हें पकड़कर जेल भेज दिया था जहां से उन्हें गुरुवार को लाकर पेश किया गया।
पहले बयान से मुकर गया
एक टीवी चैनल में वीडियोग्राफर रायकवार ने कैलाश के खिलाफ कोई बात नहीं कही, यहां तक भी कहा मैं कभी महू में पदस्थ नहीं रहा हूं और न विधानसभा चुनाव की रिपोर्टिंग की है। कैलाश के पक्ष में बयान देने पर याचिकाकर्ता अंतर सिंह दरबार के वकील ने आपत्ति ली जिस पर कोर्ट ने उसे पक्ष द्रोही घोषित कर दिया और प्रतिपरीक्षण की इजाजत दी।
सीडी दिखाई तो सकपका गया
रायकवार ने पहले अपने बयान में यह स्वीकार करने से इनकार कर दिया था कि उन्होंने कैलाश विजयवर्गीय के नोट बांटने से जुड़ी खबर का लाइव इंदौर से किया था, लेकिन जब दरबार के वकील रवींद्र सिंह छाबड़ा ने उन्हें उस टीवी पर चली सीडी कोर्ट में दिखाई तो उनके पास अपने झूठ का कोई जवाब नहीं था। पहले वह हर बात पर कह रहे थे मुझे कुछ याद नहीं है, लेकिन जैसे-जैसे सीडी चलाई गई उन्हें सभी बातों पर सहमति देना पड़ी। उन्होंने स्वीकार किया कि कैलाश की नोट बांटने वाली न्यूज उन्हें महू के संवाददाता विशाल शर्मा ने दी थी, जिसे दिल्ली भेजा गया और न्यूज चलाई गई थी।
इस न्यूज पर दिल्ली मे बैठे एंकर द्वार सवाल पूछने पर रायकवार ने स्वीकार किया था कि कैलाश नोट बांटते दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि खबर में मेरी ही आवाज थी। एडवोकेट विभोर खंडेलवाल ने बताया अपने बयान में रायकवार ने यह भी स्वीकार किया है कि कैलाश विजयवर्गीय ने आचार संहिता का उल्लंघन किया है। लंच के बाद दोपहर 2.30 बजे शुरू हुई याचिका की सुनवाई 4.30 बजे तक चली।