ग्वालियर। मप्र हाईकोर्ट ने अनुसूचित जनजाति का प्रमाण-पत्र लगाकर नौकरी हासिल करने वाले सिविल जज श्रेणी-1 एमएस रावत को बर्खास्त कर दिया है। इससे पूर्व जज को पेटलावद जिला झाबुआ के न्यायालय से निलंबित कर ग्वालियर जिला न्यायालय में अटैच कर दिया था। बाद में जाति प्रमाण-पत्र जांच में फर्जी पाया गया।
एमएस रावत ने नौकरी के लिए विदिशा की सिरोंज तहसील से मीणा जनजाति का प्रमाण-पत्र बनवाया था, जबकि वे मुरैना जिले की सबलगढ़ तहसील के रहने वाले थे। इस पूरे मामले की शिकायत दो साल पहले हाईकोर्ट से की गई थी। हाईकोर्ट ने इसकी जांच कराई। जिसमें पाया गया कि एमएस रावत का जाति प्रमाण-पत्र फर्जी है और वे सिरोंज के निवासी ही नहीं है। शिकायत के बाद करीब डेढ़ साल पहले उन्हें निलंबित कर दिया गया था।
जाति प्रमाण-पत्र की जांच रिपोर्ट पिछले महीने हाईकोर्ट को सौंपी गई। रिपोर्ट आने के बाद 3 मार्च को मप्र हाईकोर्ट की जबलपुर में फुल कोर्ट मीटिंग बुलाई गई थी। जांच में गंभीर अपराध सिद्ध होने पर उन्हें बर्खास्त करने का निर्णय लिया गया।