
राज्य के गांवों और शहरों में लगे 5 लाख से अधिक हैंडपम्पों में से 50 फीसदी सूख चुके हैं। केवल दबंगा और भाजपा नेताओं के यहां टैंकरों से जलापूर्ति हो रही है। नगरीय निकायों में तीन दिन में एक बार सिर्फ आधा घंटा पानी पहुंच रहा है।
मीलों चलकर बच्चे ला रहे हैं लोटाभर पानी
छतरपुर, टीकगमढ़, पन्ना और दमोह जिलों में बच्चे मीलों दूर पैदल चलकर एक-एक लोटा पानी ला रहे हैं। आदिवासी इलाकों में लोग ‘पत्थरों में भी पानी की संभावना’ तलाशने को मजबूर हो गए हैं। कटनी जिला प्रशासन ने पानी संकट से निबटने के लिए सात करोड़ का एक्शन प्लान शासन को दिया है। भिंड, मुरैना, अलीराजपुर, झाबुआ, मंडला, डिंडोरी में तो पानी के लिए आंदोलन किये जा रहे हैं। शिवपुरी में पेयजल के लिए त्राहित्राहि अब जैसे वहां की किस्मत बन गई है।