शासकीय कर्मचारी एक साथ 2 मूल पदों पर नहीं रह सकता: हाईकोर्ट

बिलासपुर। वन विभाग के अधिकारी की याचिका पर दिए गए फैसले में हाईकोर्ट ने कहा है कि एक शासकीय कर्मचारी एक साथ दो मूल पदों पर नहीं रह सकता। दरअसल, याचिकाकर्ता अधिकारी को अतिरिक्त प्रभार के रूप में एसडीओ फॉरेस्ट बनाया गया था। कुछ दिनों बाद मुख्यमंत्री की अनुशंसा पर दूसरे अधिकारी की नियुक्ति कर दी गई, इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी।

  • वन विभाग के तहत सूरजपुर में डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर के पद पर कार्यरत एसएनआर नेताम को प्रतापपुर के एसडीओ फॉरेस्ट आरबी सिंह के निलंबन के बाद 3 जुलाई 2015 को एसडीओ फॉरेस्ट का अतिरिक्त प्रभार दिया गया।
  • आदेश वन मंत्री की अनुशंसा के बाद मुख्य वन संरक्षक ने जारी किया था, जबकि इस पद पर पदस्थापना का अधिकार राज्य शासन को है।
  • कुछ दिनों बाद 8 अक्टूबर 2015 को मुख्यमंत्री की अनुशंसा के आधार पर श्रीमती प्रभाकर खलखो को प्रतापपुर का एसडीओ फॉरेस्ट नियुक्त किया गया।
  • इस आदेश के खिलाफ नेताम ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई, इसमें पदस्थापना को नियम विरुद्ध बताते हुए निरस्त करने की मांग की गई थी।
  • वन उत्पाद सहकारी संघ से निकल रही सैलरी
  • मामले की सुनवाई जस्टिस संजय के अग्रवाल की बेंच में हुई। सुनवाई के दौरान राज्य शासन की तरफ से बताया गया कि याचिकाकर्ता का मूल पद डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर का है, वर्तमान में उनकी सैलरी जिला वन उत्पाद सहकारी संघ ने निका ली जा रही है।
  • व्यवस्था के तहत उन्हें अतिरिक्त प्रभार दिया गया था। नियमित पदस्थापना होने के बाद उन्हें इस पद पर रहने का अधिकार नहीं है।
  • हाईकोर्ट ने बालकृष्ण पाण्डेय विरुद्ध बिहार राज्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले का हवाला देते हुए कहा है कि एक शासकीय कर्मचारी एक साथ दो मूल पदों पर नहीं रह सकता। हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है।
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