उज्जैन। सिंहस्थ महापर्व के नजदीक आते ही मेला क्षेत्र में साधु-संतों, महंतों का आना शुरू हो गया है। इन दिनों सिंहस्थ मेला क्षेत्र में साधु-संतों के हठयोग, कठोर साधना व तपस्या के नजारे देखे जा सकते हैं। यहां अलग-अलग मुद्रा में बाबाओं को ध्यान लगाते देखा जा सकता है।ये फोटो साेशल मीडिया पर खूब शेयर हो रही हैं।
विष्णु सागर के सामने स्थित आश्रम में अखंड मौनी, लोहा लंगड़ी, साइलेंट बाबा विराजित हैं। वे हिंदी, अंग्रेजी, गुजराती, मराठी सहित कई भाषाएं जानते हैं। विश्व कल्याण की भावना के साथ साइलेंट बाबा वर्षों से मौन धारण किए हुए हैं। बाबा आश्रम में आने वाले साधु-संतों और श्रद्धालुओं को अपना आशीर्वाद कागज पर लिखकर देते हैं, वे अपना सभी काम इशारों में बताते हैं।
इसी आश्रम में तपती दोपहर में सिर पर अंगारों का खप्पर रख धुनी रमाए खेड़ीघाट, सुंदरधाम के बाबा अर्जुनदास भी देखे जा सकते हैं। सिंहस्थ की सफलता के लिए पेड़ पर लटकती 20 फीट की रस्सी पर उलटे लटक कर तपस्या करते बाबा रामबालकदास भी इसी आश्रम में हैं। बाल हनुमानदास भी यहां अंगारों के बीच बैठ भरी दोपहर में धुनी रमाते नजर आने लगे हैं। सुदामा कोटी वृंदावन और झाड़ी हनुमान खालसा उत्तराखंड से आए साधुओं की टोली यहां चिलम का कश लगाते आसानी से देखी जा सकती है।
मंगलनाथ मेला क्षेत्र में दिगंबर अखाड़े के बाहर खड़ेश्री बाबा भी आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। वे वृंदावन के संत हैं। हमेशा खड़े रहने के कारण इन्हें खड़ेश्री बाबा कहा जाता है। मेला क्षेत्र में आवाहन अखाड़े पर नाखून वाले बाबा भी लोगों के आकर्षण को केंद्र बने हुए हैं। गुजरात से आए बाबा का एक हाथ 20 साल से भी ज्यादा समय से ऊपर की ओर है। उनके नाखून काफी बड़े हो गए हैं। मंगलनाथ क्षेत्र में अनेक साधु-संतों ने डेरे डाल दिए हैं। इनमें कठिन तपस्या करने वाले साधु संत भी शामिल हैं। इन्हें तपती धूप में धूनी रमाते देखा जा सकता है। लोग इन्हें देखकर अचंभित हो जाते हैं।