इंदौर। नागरिक सहकारी बैंक के कर्मचारी लालजी शुक्ला के लोकायुक्त छापे में पकड़ाने से बैंक के उन डिफाल्टर सदस्यों की वसूली रोक दी गई है जो बीते दो माह से जारी थी। बताया जाता है कि बैंक की लगभग तीन करोड़ रुपए की राशि सालों से डूबत खाते में थी। बैंक के संचालक मंडल के भंग होने और प्रशासक की नियुक्ति के बाद पिछले कुछ समय से यहां तेजी से डूबत राशि की वसूली की जा रही थी।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने नागरिक बैंक को निर्देश दिए थे कि वह मार्च 2016 तक दो करोड़ रुपए की वसूली कर ले। इस निर्देश के पालन में नागरिक बैंक ने अब तक 1.45 करोड़ रुपए की वसूली कर ली है, लेकिन बैंक के प्रमुख वसूली अधिकारी शुक्ला के लोकायुक्त छापे में पकड़ाने के बाद वसूली की प्रक्रिया सुस्त कर दी गई है। बैंक के डिफाल्टरों में शहर के कई बड़े नाम भी बताए जा रहे हैं। संचालक मंडल द्वारा इनकी वसूली से परहेज किया जा रहा था। इस कारण सालों से डूबत राशि बढ़ती जा रही थी। संचालक मंडल के हटने के बाद डिफाल्टरों से वसूली के कई प्रकरण तहसीलदार को भी भेजे गए। तेजी से हो रही वसूली के कारण डिफाल्टरों में हड़कंप मचा हुआ था। इसी बीच लोकायुक्त की कार्रवाई हुई। बैंक प्रशासक आरएस कलेश का कहना है कि बैंक की वसूली जारी रहेगी। हम पूरी कोशिश करेंगे कि आरबीआई का दिया टारगेट मार्च तक पूरा कर लें।