जबलपुर में चल रहा था महिला बाल विकास मंत्रालय का फर्जी ऑफिस

जबलपुर। नेपियर टाउन जैसे पॉश इलाके में आलीशान दफ्तर खोलकर शहर के बेरोजगारों को सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर एक जालसाज ने लाखों रुपए बटोरे और फरार हो गया। एक माह पूर्व कुछ पीड़ितों को जालसाजी की भनक लग गई और उन्होंने ओमती थाने में शिकायत भी की। लेकिन पुलिस की लापरवाही के कारण आरोपी दफ्तर में ताला लगाकर फरार हो गया। लाखों गवांने के बाद अब पीड़ित थाने के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उनकी शिकायत पर कोई सुनवाई नहीं हो रही।

संजीवनी नगर में रहने वाले क्रिकेट एकेडमी का संचालन करने वाले हरीश परिहार ने बताया कि करीब 1 साल पूर्व उनकी एकेडमी में जितेन्द्र कुमार डेहरे नाम का व्यक्ति अपने बेटे का एडमिशन कराने पहुंचा था। जितेन्द्र ने खुद को केन्द्रीय महिला बाल विकास मंत्रालय का अधिकारी बताया था। हरीश के अनुसार कुछ दिन की मुलाकात के बाद जितेन्द्र ने उसे जानकारी दी कि केन्द्र सरकार ने एक योजना बनाई है, जिसके तहत उसके विभाग में बेरोजगारों को नौकरी मिल सकती है। हरीश जितेन्द्र की बातों में आ गया और उसके नेपियर टाउन स्थित दफ्तर पहुंचा। हरीश ने बताया कि जितेन्द्र के दफ्तर में कई युवक पहले से काम कर रहे थे, जिसके बाद उसने जितेन्द्र को नौकरी लगाने के लिए ढाई लाख रुपए दे दिए।

6 महीने कराई ट्रेनिंग
हरीश के अनुसार कुछ दिन बाद हरीश ने उसे एक श्रम विभाग का नियुक्ति पत्र देते हुए कहा कि उसका तबादला श्रम मंत्रालय में हो गया है। अन्य युवकों की तरह हरीश को भी 6 महीने तक ट्रेनिंग के नाम पर रिक्शा चालकों, गरीब बस्ती और अस्पतालों में रहने वालों की जानकारी जुटाने के लिए कहा गया।

भेद खुलते ही हुआ फरार
हरीश ने बताया कि लगातार काम करने के बाद जब उसने जानकारी जुटाई तो पता चला कि जितेन्द्र कुमार डेहरे न तो किसी सरकारी विभाग में और उसका दफ्तर भी फर्जी है। जिसके बाद हरीश ने अन्य युवकों के साथ 18 जनवरी को चुपचाप एसपी ऑफिस पहुंचकर जितेन्द्र के खिलाफ शिकायत कर दी। उक्त शिकायत एसपी ऑफिस से ओमती थाने भेज दी गई, लेकिन दो दिन बाद जब वह अन्य युवकों के साथ दफ्तर पहुंचा तो वहां ताला लगा हुआ था।

सभी युवक ओमती थाने पहुंचे लेकिन पुलिस ने उन्हें डांटकर वापस लौटा दिया। हरीश के अनुसार जितेन्द्र ने उसकी तरह इलियाज खान, गोपाल दास, विंध्येश्वरी प्रसाद गुप्ता, शिव प्रसाद चौधरी, विजय चौधरी, उत्तम अहिरवार, मो. इकबाल और अन्य 20-22 युवकों पैसा लेकर फर्जी नियुक्ति पत्र दिया देकर ट्रेनिंग कराई थी। सभी युवकों से 2 से 3 लाख रुपया जितेन्द्र ने लिया था।
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