
दूध पाउडर के बाजार में इस मंदी का कारण चीन और रूस जैसे आयातक देशों का पीछे हटना है। दूध के सहकारी सेक्टर के जानकारों का कहना है कि भारत के दूध पाउडर का सबसे बड़ा खरीदार चीन है। भारत में बने मिल्क पाउडर का करीब 40 फीसदी हिस्सा चीन खरीदता था, लेकिन बीते डेढ़-दो साल में हालात बदल गए हैं। चीन ने ही अपना दूध उत्पादन इतना बढ़ा लिया है कि उसे भारत से दूध पाउडर लेने की जरूरत नहीं रही।
इसी कारण भारत के विभिन्न् राज्यों के मिल्क फेडरेशन के पास पाउडर का स्टॉक होता जा रहा है। यदि इसे अगले कुछ महीनों में उपयोग नहीं किया गया तो यह खराब हो सकता है। ऐसे विपरीत हालात में मदद के लिए नेशनल को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन ऑफ इंडिया के चेयरमैन सुभाष मांडगे ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह को चिट्ठी लिखी है।
ऐसे पतली हो रही दूध की हालत
इंदौर दुग्ध संघ ने अपने पास रखे 1700 टन मिल्क पाउडर के लिए टेंडर किए, लेकिन लगभग 160 रुपए प्रतिकिलो के भाव में मांगा गया, जबकि दुग्ध संघ को इसकी लागत ही 200 रुपए किलो के भाव आई। भोपाल, जबलपुर और ग्वालियर दुग्ध संघों के पास भी दूध पाउडर का स्टॉक है।
सहकारी उपक्रम की तो मजबूरी है कि वह अपनी दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों से दूध खरीदे, लेकिन निजी सेक्टर की डेयरियां अपनी जरूरत का ही दूध खरीद रही हैं। इंटरनेशनल मार्केट में भाव न मिलने और सरकार द्वारा एक्सपोर्ट सबसिडी बंद कर देने से उन्होंने पाउडर बनाना बंद कर दिया है। इसी कारण किसानों का भाव भी नहीं बढ़ाया जा रहा है।
माध्यान्ह भोजन में सप्लाय
इंटरनेशनल लेवल पर दूध उत्पादों में मंदी है। दुग्ध संघ के पास बड़े पैमाने पर मिल्क पाउडर का स्टॉक है लेकिन मध्यान्ह भोजन की सप्लाई के कारण हमें राहत मिली है। इसके अलावा हम कोशिश करेंगे कि उज्जैन सिंहस्थ में अधिक से अधिक अपना दूध बेचें। हम अपनी ओर से पूरी कोशिश कर रहे हैं कि अपना मार्केट तलाशें।
उमरावसिंह मौर्य, अध्यक्ष, इंदौर दुग्ध संघ