भोपाल। बेतहाशा फीस बढ़ोतरी के खिलाफ बुधवार को निजी विधेयक का प्रस्ताव विधानसभा सचिवालय में दाखिल हुआ। यह विधेयक कांग्रेस के विधायक जीतू पटवारी ने लगाया है। सचिवालय इसका परीक्षण करेगा। यदि अनुमति मिली तो मौजूदा बजट सत्र में ही ये पेश हो सकता है। निजी विधेयक का प्रस्ताव विस को मिलने की सूचना के बाद स्कूल शिक्षा विभाग सक्रिय हो गया है। - ये है निजी मसौदा:
- सरकारी या सहायता प्राप्त स्कूल में सरकार की ओर से तय से ज्यादा फीस नहीं ली जा सकेगी।
- कोई भी स्कूल एडमिशन के समय डोनेशन या कैपिटेशन फीस नहीं लेगा।
- डोनेशन लिया तो दस गुना अधिक रकम या पांच लाख रुपए दोनों में जो ज्यादा हो जुर्माना वसूला जाए।
- सरकार अनुदान प्राप्त स्कूलों के लिए फीस तय करेगी।
- फीस तय करने सरकार राज्य स्तरीय समिति का गठन करेगी, जिसके अध्यक्ष सेवानिवृत्त जज होंगे।
- इन बिंदुओं पर तय होगी निजी स्कूलों की फीस
- स्कूल की मौजूद अधोसंरचना, प्रशासनिक और व्यवस्था पर होने वाला खर्च, निजी स्कूल के विकास के लिए जरूरी फंड, ट्रांसपोर्टेशन, भोजन व अन्य वैकल्पिक गतिविधियां आदि।
- स्कूल एडमिशन फार्म मुफ्त या अधिकतम 10 रुपए में ही दें।
- स्कूलों द्वारा नए एडमिशन पर लिया जाने वाला प्रवेश शुल्क एक माह की फीस से अधिक नहीं होगा।
- नियमों का पालन नहीं करने वाले स्कूल संचालकों आदि के खिलाफ एक से तीन वर्ष के कारावास और 50 हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान होगा।
- सरकार हर जिले में एक जिला समिति का गठन करेगी। समिति के सदस्य निजी स्कूलों में प्रवेश कर जांच कर सकेंगे।
- स्कूलों में शिक्षण सत्र शुरू होने के 30 दिन में पालक-शिक्षक संघ का गठन होना अनिवार्य है। इसकी जिम्मेदारी स्कूल के निदेशक या प्राचार्य की होगी। विद्यार्थियों के पालक उस संघ के सदस्य माने जाएंगे।
सरकार सालों से सिर्फ आश्वासन दे रही है....
2009 से निजी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली पर विधेयक लाने की बात कही जा रही है, लेकिन आज तक कुछ नहीं हुुआ। मैने संविधान में प्रदत्त शक्तियों का उपयोग कर निजी विधेयक सदन में प्रस्तुत करने के लिए सचिवालय में जमा किया है।
जीतू पटवारी, विधायक राऊ