
हिर्री जिला दुर्ग निवासी एफआर निषादराज ने पत्नि चंद्रकांती निषादराज के नाम पर मई 2010 में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की दुर्ग इकाई में मासिक ब्याज दर योजना के अंतर्गत 60 महीने के लिए 8 फीसदी वार्षिक ब्याज पर बैंक में 6 लाख रुपए जमा किया। बाद में बैंक ने प्रार्थी की अनुमति के बिना ही दिसंबर 2012 में जमा राशि को तिमाही योजना में बदल दिया। इसकी जानकारी मिलने पर उन्होंने बैंक से जमा रकम देने की मांग की, लेकिन राशि नहीं दी गई। इस पर उन्होंने जुलाई 2013 में पुलिस अधीक्षक दुर्ग से मामले की शिकायत की। इस पर वहां से उन्हें जिला उपभोक्ता फोरम जाने को कहा गया। वहां उन्होंने याचिका लगाई। इस पर उनके पक्ष में फैसला हुआ था, जिसे बैंक ने आयोग में चुनौती दी थी।