
वर्षों पहले खाई कसम का बहरोड़ के खोहरी गांव निवासी 82 वर्षीय शिवचरण यादव आज भी पालन कर रहे हैं. शिवचरण यादव 46 बार बोर्ड का एग्ज़ाम दे चुके हैं. उन्हें उम्मीद है कि वह 47वीं बार पास हो ही जाउंगा.
बहरोड़ के खोहरी गांव निवासी 82 वर्षीय शिवचरण यादव ने वर्षों पहले दसवीं पास करने के बाद शादी करने की कसम खाई थी. बढ़ती उम्र के साथ भले की शरीर के विभिन्न अंगों ने साथ देना बंद कर दिया हो, लेकिन उनमें दसवीं पास करने की ललक अब भी बरकरार है.
46 बार फेल
शिवचरण का पढ़ाई के प्रति जूनून काबिले तारीफ है. कोर्स और सिलेबस बदलते गए, लेकिन नहीं बदला तो इनका दसवीं पास करने का जज्बा. यादव ने लगातार 46 बार फेल होने के बावजूद अब तक हिम्मत नहीं हारी.
शादी की ख्वाहिश में उम्र गुजरी
शिवचरण यादव उम्र के तगाजे को देखते हुए कहते हैं कि अब शायद कोई दुल्हन मिले. लेकिन दसवीं पास जरूर करूंगा. शिवचरण की कहानी भी कसम की तरह जुदा है. परिवार में कोई नहीं होने और आजीविका का साधन नहीं होने से गांव में बने हनुमान मंदिर में रहकर नरेगा में काम करते हैं.
एक बार फिर तैयार
एक बार फिर से शिवचरण यादव हनुमान जी की शरण में रहकर पढ़ाई कर परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं. अब देखना यह होगा कि इस बार दसवीं की परीक्षा में शिवचरण यादव पास हो पाते हैं या हमेशा ही तरह इस बार भी निराशा ही उनके हाथ लगती है.
1995 में गणित छोड़कर सभी विषयों में हुआ था पास
शिवचरण ने बताया कि 1995 में वह गणित को छोड़कर सभी विषयों में पास हो गये, लेकिन उसके बाद से अब तक किस्मत उसका इतना साथ भी नहीं दे रही की वह किसी परीक्षा में गणित विषय को पास कर सकें. शिवचरण कहते हैं कि पाठ्यक्रम में बदलाव की वजह से उन्हें दिक्कत आती है, लेकिन एक दिन वह पास होकर दिखायेंगे. महज़ दसवीं पास करने के लिए उन्होंने अपनी ज़मीन भी बेच दी और पुरखों का घर छोड़ अब गांव के हनुमान मंदिर में रहते हैं. बीपीएल में होने की वजह से उन्हें राज्य सरकार द्वारा वृद्धअवस्था पेंशन में 500 रुपये मिलते हैं जिससे वह अपना गुज़ारा करते हैं.