भोपाल। गरीबों को आशियाना देने की योजना के तहत बने दुर्गा नगर और सिद्धेश्वरी नगर के फ्लैट रसूखदारों ने हथिया लिए हैं। नगर निगम के वार्ड प्रभारी और बैंक अफसर तक को गड़बड़ी कर करीब 7 लाख रुपए के फ्लैट महज 1 लाख 20 हजार रुपए में दे दिए गए। यही नहीं, अफसरों ने आवंटी की मौत के बाद भी दस्तावेजों में जिंदा बताकर दो-दो फ्लैट उनके रिश्तेदारों को दे दिए। यह गड़बड़ी भोपाल विकास प्राधिकरण (बीडीए) द्वारा बनाए गए फ्लैट्स के आवंटन में सामने आई है। हैरत की बात यह है कि इस घोटाले से पर्दा उठने के बाद जांच का जिम्मा गड़बड़ी के वक्त तैनात रहे अफसरों को ही सौंपा गया है।
बीडीए को वर्ष 2009 में जेएनएनयूआरएम की बीएसयूपी योजना में दुर्गा नगर और सिद्धेश्वरी नगर की झुग्गियों को तोड़कर नए फ्लैट बनाने का काम मिला था। सूचना के अधिकार से मिली जानकारी के मुताबिक अफसरों ने झुग्गी बस्ती में रहने वाले करीब 1400 लोगों का सर्वे किया। इनमें से करीब 650 लोगों को फ्लैट दिए गए। इसी में 131 झुग्गी विस्थापितों के 30 फीसदी से अधिक फ्लैट एक लाख से ज्यादा की आय वाले लोगों को दे दिए गए। इस फर्जीवाड़े पर आरटीआई कार्यकर्ता जितेंद्र सिंह यादव लगातार नजर रखे हुए थे। लिहाजा उन्होंने सर्वे से लेकर आवंटन तक के तमाम दस्तावेज आरटीआई के जरिए हासिल किए। उनका दावा है कि बीडीए ने बड़े पैमाने पर फर्जी सर्वे कर कई अपात्र लोगों को इसमें शामिल किया था। गड़बड़ी की बात सामने आने के बाद बीडीए अधिकारी मामले की जांच की बात तो कर रहे हैं, लेकिन किसी को इसके लिए जिम्मेदार नहीं मानते।