
गौरतलब है कि विधान सभा चुनाव वर्ष 2013 में अटल ज्योति योजना को इन्हीं संविदा कर्मचारियों अधिकारियों ने गांव-गांव तक पहुंचाया जिसके कारण सरकार का फायदा हुआ और तीसरी बार भाजपा की सरकार बनी । भाजपा सरकार ने इनकी मेहनत और सेवा को देखते हुये अपने घोषणा पत्र में नियमितीकरण किये जाने का वादा किया था।
बिजली संविदा कर्मचारी अधिकारी 14 मार्च से क्रमिक भूख हड़ताल पर बैठे हुये थे। जिसमें प्रत्येक क्षेत्रिय कम्पनियों के तकनीकी कर्मचारी अधिकारी शामिल हो रहे थे । भूख हड़ताल के तीसरे दिन प्रदेश की सभी कम्पनियों के बिजली संविदा कर्मचारी अधिकारी इकठ्ठे हुये और उन्होंने म.प्र. युनाईटेड फोरम पावर ईम्पलाईज एवं इंजीनियर्स के संयोजक इंजी. व्ही.के.एस. परिहार तथा म.प्र. संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर एवं संविदा महासंघ की बिजली विभागीय इकाई के अध्यक्ष दीपक चैधरी के नेतृत्व मेें संविदा से हटाये जाने का विरोध किया तथा भाजपा के घोषणा पत्र में किये गये बिजली संविदा कर्मचारियों को नियमित करने के वादे को पूरा करने की मांग की।
युनाईटेड फोरम के संयोजक इंजी. व्ही.के.एस. परिहार ने मंच से घोषणा की, कि संविदा कर्मचारियों के समर्थन में प्रदेश के चालीस हजार नियमित बिजली कर्मचारी और इंजीनियर भी एक दिन की सांकेतिक हड़ताल करेंगें ।
क्यों आंदोलन कर हैं बिजली संविदा कर्मचारी अधिकारी
म.प्र. भाजपा सरकार के 2013 चुनावी घोषणा पत्र के तैतीसवें पृष्ठ पर स्पष्ट उल्लेख है कि यदि तीसरी बार भाजपा की सरकार बनती है तो बिजली विभाग के संविदा कर्मचारियों को शीध्र नियमितीकरण किया जायेगा । लेकिन नियमितीकरण करना तो दूर मध्यक्षेत्र विघुत वितरण कम्पनी के मैनेजिंग डारेक्टर विवेक पोरवाल ने हठधर्मिता अपनाते हुये बिजली संविदा कर्मचारियों को 30 अप्रैल से सेवा समाप्ति के नोटिस जारी कर दिये हैं, तथा पूर्व से कार्यरत संविदा कर्मचारियों के स्थान पर संविदा पर ही नई भर्ती करने के नोटिस जारी कर दिये । जिससे प्रदेश के आठ हजार बिजली संविदा कर्मचारियों अधिकारियों में आक्रोश व्याप्त हो गया है ।
बिजली कर्मचारी अधिकारी क्या चाहते हैं
विगत पांच - छः वर्षो से संविदा पर कार्यरत बिजली कर्मचारी और इंजीनियिर चाहते हैं कि जब नई भर्ती संविदा पर ही करनी है तो जो पहले से संविदा कर्मचारी अधिकारी कार्य कर रहे हैं तो उन्हीं को रखा जाए । नये संविदा इंजीनियरों और कर्मचारियों को फिर से प्रशिक्षित करना होगा । दूसरा भाजपा सरकार ने घोषणा पत्र में स्पष्ट उल्लेख किया है कि बिजली संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जायेगा तो घोषणा पत्र का पालन करते हुये संविदा बिजली कर्मचारियों को नियमित किया जाए । उच्च न्यायलय के स्टे का पालन किया जाए संविदा समाप्त ना की जाए । यथावत रखा जाए ।
बिजली संविदा कर्मचारी अधिकारी क्यों हैं आक्रोशित
म.प्र. सरकार ने पंचायत कर्मियों, गुरूजियों, शिक्षाकर्मियों जिनकी नियुक्ति सरपंचों और ग्राम समुदायों ने की थी बिना किसी पारदर्शी तरीके से उनको सरकार ने नियमित कर दिया और जो कर्मचारी अधिकारी विधिवत समाचार - पत्रों में निकाले गये विज्ञापन के माध्यम् से आए हैं उनको नौकरी से हटा रही है ।
परिवार का क्या होगा
पूर्व से संविदा कर्मचारी अधिकारी काम कर रहे हैं उनके शादी ब्याह हो चुके हैं। परिवार बस चुका हैं । बच्चे स्कूल जाते हैं उनके सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो जायेगा। मोदी जी के स्किल्ड डवलपमेंट का क्या होगा - देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी युवाओं को स्किल्ड पर जोर दे रहे हैं । दूसरी और अफसर शाह और नौकर शाह उस पर पलीता लगा रहे हैं। ये जो कर्मचारी अधिकारी निकाले जायेंगें वो पुरी तरह स्किल्ड कर्मचारी अधिकारी हैं उनसे लगा हुआ रोजगार छीना जा रहा है ।
महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर और विभागीय इकाई के अध्यक्ष दीपक चैधरी ने बताया कि यदि बिजली संविदा कर्मचारियों को निकाला गया तो प्रदेश के ढाई लाख संविदा कर्मचारी - अधिकारी आंदोलन पर उतर जायेंगें तथा बिजली विभाग के नियमित कर्मचारी अधिकारी भी संविदा बिजली कर्मचारियों की मांगों का समर्थन करते हुये हड़ताल पर चले जायेंगें ।