वो संस्कृत का विद्वान था, फिर आतंकवादी बन गया

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बेंगलुरु। सिमी के पूर्व कार्यकर्ता अल्मजेब अफरीदी ने 26 जुलाई 2008 में अहमदाबाद के डायमंड मार्केट में आईईडी लगी साइकिल खड़ी की थी। उस विस्फोट में 56 लोगों की मौत हुई थी।

इसके पांच साल बाद उसने बेंगलुरु के पुलिस थाने में अपने नियोक्ता के द्वारा किए गए हमले की शिकायत दर्ज कराई। पुलिस को कोई अंदाजा नहीं था कि वह एक आतंकी है। अफरीदी की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने आरोपी नियोक्ता को गिरफ्तार करके उसे राहत दी थी।

मगर, पिछले महीने अफरीदी को एनआईए की टीम ने 2014 में हुए बेंगलुरू धमाके के संबंध में गिरफ्तार किया। पूछताछ में पता चला कि साल 2002 में गुजरात दंगों का पीड़‍ित अफरीदी अच्‍छी संस्कृत बोलने वाले छात्र था। इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर के अनुसार, वह साल 2004 में आतंकी बन गया और 2016 में वह आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट का संभावित आतंकी बन गया।

उसने दो बम धमाकों में अहम भूमिका निभाई थी। वह सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर लंबे समय था। उसने उत्तर प्रदेश में मिट्टी के ठेकेदार, महाराष्ट्र में सिक्‍योरिटी गार्ड, हरियाणा में मिठाई की दुकान में काम करने, गुजरात में एक्स-रे टेक्‍नीशियन और बेंगलुरु में एसी मैकेनिक की पहचान हासिल की।

एनआईए के एक जांचकर्ता ने बताया कि यदि उसने दूसरी आतंकी घटना को अंजाम नहीं दिया होता, तो संभवत: वह कभी नहीं पकड़ा जाता। बताया गया कि बेंगलुरु में उसने मोहम्मद रफीक के रूप में लोकप्रिय एसी मैकेनिक के रुप में पहचान बनाई। उसके पास एलआईसी की पॉलिसी, आधार कार्ड और एक एसबीआई का खाता था, जिसमें 70 हजार रुपए थे।

वह इतना लोकप्रिय हो गया था कि उसने जांचकर्ताओं को बताया कि उसके नियोक्ता ने साल 2013 में उसका बिजनेस खत्म करने के लिए 10 लोगों को उस पर हमला करने के लिए हायर किया था। उसके पास एक बाइक थी, एक स्मार्ट फोन था और कई दोस्त थे। उसने जांचकर्ताओं को बताया कि उसने नेट पर रेडिकल इस्लामिक ल‍िट्रेचर पढ़े और वीडियो देखे। साल 2014 तक उसने चरमपंथी इस्लामियों और आईएस के सदस्यों से संपर्क करने के लिए कम से कम 40 फेसबुक अकाउंट और 24 जीमेल अकाउंट बनाए थे।
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