टीआई न्यायालय की अवमानना का दोषी प्रमाणित

इंदौर। जिला कोर्ट के आदेश के बावजूद धोखाधड़ी के आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं करना रावजी बाजार टीआई को महंगा पड़ा। कोर्ट ने अवमानना याचिका में फैसला सुनाते हुए माना कि कोर्ट के आदेश का पालन करने के बजाय टीआई सीएस चढ़ार और अधिकारी मनमानी करते रहे। प्रकरण को आगे की कार्रवाई के लिए कोर्ट ने हाई कोर्ट को रैफर कर दिया।

नेमि नगर निवासी प्रवीण जैन ने दिसंबर 1994 में विनय नगर गृह निर्माण संस्था से विनय नगर में प्लॉट खरीदा था। उन्होंने जुलाई 2008 में प्लॉट का नामांतरण भी करवा लिया था। आरोप है कि विनय नगर के पास विनय गार्डन संचालक संजय जैन ने जून 2010 में फर्जी दस्तावेज के आधार पर उक्त प्लॉट का नामांतरण अपने नाम से करा लिया। प्रवीण ने इसकी शिकायत रावजी बाजार पुलिस में की, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। इस पर उन्होंने एडवोकेट मुकेश देवल के जरिए जिला कोर्ट में परिवाद लगाया। 13 जनवरी 2016 को जेएमएफसी कोर्ट ने आरोपी संजय जैन के खिलाफ भादवि की धाराओं में प्रकरण दर्ज करने के आदेश टीआई को दिए। कोर्ट के आदेश के बावजूद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। इस पर प्रवीण जैन ने टीआई के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का केस दायर किया। शनिवार को जेएमएफसी नीरज सोनी ने याचिका में फैसला सुनाया। कोर्ट ने माना कि आदेश के बावजूद आरोपी के खिलाफ प्रकरण दर्ज नहीं कर टीआई चढ़ार ने गंभीर चूक की है। ऐसा लगता है कि उन्होंने जानबूझकर आरोपी को फायदा पहुंचाने के लिए ऐसा किया है। कोर्ट ने यह भी माना कि टीआई और विभाग के अधिकारियों द्वारा लोकतांत्रिक संस्थाओं के फैसलों और आदेशों को स्थान देने के बजाए मनमानी की जा रही है। कोर्ट ने टीआई को अवमानना का दोषी मानते हुए प्रकरण को कार्रवाई के लिए हाई कोर्ट रैफर किया।
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