
सोनू की आंखों देखी उसी की जुबानी...
मैं विकास को बहुत पहले से जानता था। वह मेरे पुराने मोहल्ले चौकी चौराहे पर रहता था। मैं भी बरसों वहीं रहा हूं। घटना वाले दिन मंगलवार की सुबह रोजाना की तरह मैं अपनी मां को छोड़ने विधानसभा गया था, वे विधानसभा में काम करती हैं। बिल्कुल सही समय तो नहीं बता सकता, हां... उस समय करीब सवा ग्यारह बजा होगा। मैंने देखा... लाल बस (लो फ्लोर) से किसी बाइक सवार का एक्सीडेंट हो गया है। चारों ओर भीड़ लग गई थी।
मैं भी अपना ऑटो खड़ा कर वहां पहुंच गया। मैंने देखा कि वहां पहले से एक ऑटो वाले सड़क पर घायल पड़े लड़के को अस्पताल ले जाने के लिए कुछ लोगों की मदद से अपने ऑटो में रखा। लेकिन, वहां खड़े पुलिस वालों ने घायल लड़के को आटो से उतारकर किनारे नीचे डाल दिया और आटो वाले को यह कहकर भगा दिया कि सीएम आने वाले हैं। जब मैंने और करीब जाकर लड़के को देखा तो वह तो मेरे पुराने मोहल्ले का विकास था। मैंने पहचानते ही उसे अपने ऑटो से अस्पताल ले जाने के लिए आसपास खड़े लोगों से मदद करने कहा। यह देखते ही पुलिस वालों ने मुझे भी भगा दिया गया।
सेल्यूट करती रही पुलिस
जब मुख्यमंत्री का काफिला घटना स्थल से गुजरा तब शायद उन्हें पता भी नहीं होगा कि यहां एक घायल लड़का सड़क पर बुरी तरह तड़प रहा है। वह खून से लथपथ था। विकास के सामने की ओर पुलिस वाले खड़े हो गए और सेल्यूट करने लगे। मैं और मुझसे पहले आया ऑटो चालक विकास को अस्पताल ले जा सकते थे लेकिन हम कुछ नहीं कर सके।