
रविवार को कोझिकोड में महिला वकीलों के एनजीओ की ओर से आयोजित एक सेमिनार में जस्टिस पाशा ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ महिलाओं के खिलाफ कई नियमों से भरा पड़ा है। जस्टिश पाशा ने बहुविवाह के लिए मुस्लिम धार्मिक नेताओं को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि नाजुक मुद्दों पर आत्ममंथन की जरूरत है।
उन्होंने कहा, मुस्लिम पर्सनल लॉ के मुताबिक एक आदमी चार बार शादी कर सकता है। हालांकि कई मुस्लिम देशों में बहुविवाह पर पाबंदी लग चुकी है लेकिन भारत में ये जारी है। उन्होंने कहा कि कुरान में अधिकारों की स्पष्ट व्याख्या के बावजूद महिलाओं के अधिकारों से वंचित रखा जाता है।