नईदिल्ली। उत्तराखंड में मचे सियासी घमासान के बीच नैनीताल हाईकोर्ट ने बीजेपी को तगड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने हरीश रावत की याचिका पर फैसला देते हुए निर्देश दिया है कि 31 मार्च को वह विधानसभा में बहुमत साबित करें।
अदालत ने साफ किया कि विश्वासमत प्रस्ताव के दौरान सदन में कांग्रेस के 9 बागी विधायक भी हिस्सा ले सकेंगे। इसके लिए अदालत ने नैनीताल हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को बतौर पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। कांग्रेस की ओर से पैरवी करने वाले अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि बागी विधायकों के वोट को अलग रखा जाएगा। मतलब सिर्फ गणना करने के लिए उनके वोट रखे जाएंगे।
31 मार्च को 11 बजे वोटिंग होगी और 1 अप्रैल को रजिस्ट्रार जनरल कोर्ट में अपनी रिपोर्ट रखेंगे। खास बात ये है की वोटिंग की प्रक्रिया को गोपनीय रखने का आदेश कोर्ट ने दिया है।
कांग्रेस ने दी थी अदालत में फैसले को चुनौती
उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने के खिलाफ कांग्रेस ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। कांग्रेस की ओर से मामले की पैरवी सिंघवी और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल कर रहे हैं। सिंघवी सोमवार सुबह दिल्ली से नैनीताल हाईकोर्ट पहुंचे थे और थोड़ी देर बाद कपिल सिब्बल भी नैनीताल पहुंच गए थे।
इससे पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रविवार को उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने की संस्तुति की थी। राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद-356 के तहत इसकी घोषणा पर हस्ताक्षर किए थे। उसके बाद उत्तराखंड विधानसभा निलंबित कर दी गई। यह पूरा घटनाक्रम मात्र एक दिन पहले का है, जब कांग्रेस के नेतृत्ववाली राज्य सरकार को सदन में बहुमत साबित करना था।