राकेश दुबे@प्रतिदिन। सरकार ने अनुमान लगाया है कि अगले साल जीडीपी की विकास दर सात से साढ़े सात फीसदी के बीच रहेगी। सरकार ने यह रवैया शायद इसलिए अपनाया है कि वह बार-बार संशोधित अनुमान लगाने से बचना चाहती है। विकास दर ज्यादा रहेगी,इसके कई कारण है एक तो विकास दर का यह रुझान पिछले कुछ साल से लगातार चल रहा है।
बावजूद इसके कि इस दौरान कृषि विकास दर शून्य के आस-पास या उससे नीचे तक रही है। पिछले दो साल से देश में लगातार सूखा पड़ रहा है, फिर भी विकास दर सात फीसदी से ऊपर ही रही है। इस साल इसमें बदलाव आने की उम्मीद बंधी है। एक तो इसलिए कि मौसम विज्ञानी बता रहे हैं कि इस साल मानसून अच्छा रहेगा, दूसरे इसलिए भी कि फिलहाल कृषि- उत्पादन का आधार बहुत नीचा है, और उत्पादन में थोड़ी-सी वृद्धि भी आंकड़ों में बड़ा असर दिखाएगी।कृषि के अलावा सरकार के मेक इन इंडिया से भी काफी उम्मीद की जा सकती है। अगले वित्त वर्ष से इसके सकारात्मक नतीजे मिलने शुरू हो जाएंगे। तीसरी चीज इन्फ्रास्ट्रक्चर है, जिस पर सरकार ने काफी ध्यान दिया है, खासकर रेल और सड़क के मामले में। मेक इन इंडिया और इन्फ्रास्ट्रक्चर में हुआ निवेश मिलकर औद्योगिक उत्पादन को गति देंगे। ये तीनों चीजें मिलकर अर्थव्यवस्था की विकास दर को बड़ी आसानी से साढ़े सात फीसदी से ऊपर ले जा सकती हैं।
इस समय दुनिया भर में जो आर्थिक स्थितियां हैं, वे बहुत अनुकूल नहीं हैं। अमेरिका को छोड़ दें, तो चीन समेत दुनिया की ज्यादातर विकसित अर्थव्यवस्थाओं की हालत इस समय अच्छी नहीं है। यानी ऐसे कई देशों की आर्थिक हालत खराब है, जो भारत से बड़ी मात्रा में आयात करते रहे हैं। लेकिन यह अंतरराष्ट्रीय स्थिति भारत की अर्थव्यवस्था पर ज्यादा बड़ा असर नहीं डाल सकेगी, क्योंकि हमारी अर्थव्यवस्था में घरेलू उपभोग की भूमिका ज्यादा बड़ी होती हैऔर इसी घरेलू उपभोग के चलते हम सबसे ज्यादा विकास दर वाली अर्थव्यवस्था बने रहेंगे। जाहिर है, इसकी वजह से दुनिया भर के निवेशकों के लिए भारत निवेश का सबसे बड़ा आकर्षण बना रहेगा। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों का कम होना भी भारत के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रहा है। सबसे बड़ी बात है कि इसकी वजह से कई चीजों की उत्पादन लागत काफी कम हुई है। कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट के हाल-फिलहाल में खत्म होने के आसार भी नहीं दिख रहे।
आर्थिक सर्वे के आंकड़े देखें, तो पिछले कुछ साल में सबसे कम निवेश कृषि और खनन के क्षेत्र में हुआ है। इसीलिए यही दोनों क्षेत्र ऐसे हैं, जिनमें विकास दर काफी कम है, यहां तक कि नकारात्मक भी रही है। सरकार को कृषि निवेश बढ़ाने की ऐसी नीतियां अपनानी होंगी, जिनसे किसानों का संरक्षण हो और ग्रामीण क्षेत्र में मांग बढ़े। इसी से देश की अर्थव्यवस्था तेजी से तरक्की कर सकेगी।
- श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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