राकेश दुबे@प्रतिदिन। अरुणाचल में जो हो रहा है, उसे एक नजरिये से कांग्रेस सरकार को विस्थापित कर उसकी जगह एक अनुकूल सरकार लाने में भारतीय जनता पार्टी की भूमिका और इच्छा को स्वीकार करने के समान है। इसकी शुरुआत राजखोवा द्वारा राज्य विधानसभा का सत्र बुलाने के फैसले से हुई, जिसमें राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की राज्यपाल की सिफारिश का फैसला लिया गया। उन्होंने इसके कारण गिनाए हैं, लेकिन राज्य में केंद्रीय शासन लागू करने के सरकार के फैसले की अब सुप्रीम कोर्ट में जांच हो रही है। अब सर्वोच्च न्यायालय की सांविधानिक पीठ में सुनवाई पर सबकी नजर है । पहले भी ऐसे उदाहरण हैं, जब केंद्रीय शासन को संविधान का उल्लंघन बताया गया। १९९० के दशक के एस. आर. बोम्मई मामले का ऐसे संदर्भों में उचित ही हवाला दिया जाता है, और यह एक स्थापित कानून है कि सरकार के बहुमत की परीक्षा सदन में होनी चाहिए।
केंद्र एवं भाजपा का तर्क है कि सवाल तुकी के बहुमत खोने का ही नहीं है, बल्कि राजखोवा की रिपोर्ट में अन्य कारकों का भी उल्लेख किया गया है, जिसमें मिथुन (जंगली भैंसे) की बलि का भी मामला शामिल है। राजखोवा ने राज्य में वित्तीय गड़बड़ियों का भी हवाला दिया है, जिसके चलते केंद्रीय शासन जरूरी है। अदालत ही यह फैसला करेगी कि क्या राज्यपाल ने अपने अधिकार से बाहर जाकर काम किया है और क्या देश के संघीय चरित्र को कमजोर करने के लिए राजभवन का दुरुपयोग किया?
संसद का आगामी बजट सत्र और भी हंगामेदार होगा, क्योंकि राज्यसभा में कार्यवाही स्थगित करने के लिए कांग्रेस को काफी मुद्दा मिल गया है। ऐसे में राष्ट्रपति शासन लागू करने के फैसले पर संसदीय मोहर लगवाना सरकार के लिए कठिन होगा, जो छह महीने के भीतर अनिवार्य है। बहुत संभव है कि कांग्रेस के बागी शीघ्र ही भाजपा विधायकों के समर्थन से सरकार गठन का दावा पेश करने राजभवन जाएंगे। राज्यपाल पुल को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करेंगे, जिन्हें पहले ही बागी गुट का नेता चुन लिया गया है। वह मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे और उन्हें बहुमत साबित करने के लिए पर्याप्त समय दिया जाएगा। वह आसानी से बहुमत साबित करेंगे और उसके बाद राजनीति अगले प्रकरण तक पटरी पर लौट आएगी! पूर्वोत्तर में ऐसी राजनीतिक उथल-पुथल पहले भी देखी गई है। अल्पकालिक राजनीतिक लाभ के लिए भाजपा ने खुद ही राजनीतिक संकटों को न्योता दिया है।
- श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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