भोपाल। 'बाबूगिरी' ने स्कूल शिक्षा विभाग के पूरे सिस्टम को ठप कर दिया है। कनिष्ठों को लाभ पहुंचाने के लिए वरिष्ठता सूची में इस कदर गड़बड़ियां की गई कि सीनियर होते हुए भी सैकड़ों व्याख्याता प्राचार्य नहीं बन पा रहे हैं और कुछ ऐसे भी हैं, जिन्हें समय से पहले प्रमोशन मिल गया है। यह स्थिति तब है, जब इस साल पदोन्नति प्रक्रिया के तहत दो माह पूरी वरिष्ठता सूचियों को खंगाला जा चुका है। इस सूची में ऐसे लोग भी शामिल हैं, जो या तो सेवानिवृत्त हो चुके हैं या फिर उनकी मौत हो चुकी है। अव्वल तो ये है कि इन लोगों से विभाग गोपनीय चरित्रावली (सीआर) भी मांग रहा है।
लोक शिक्षण संचालनालय में पदोन्नति का दौर चल रहा है। पिछले छह माह में व्याख्याता से हाईस्कूल प्राचार्य और हाईस्कूल से हायर सेकंडरी प्राचार्य की पदोन्नति सूची जारी हो चुकी है। वर्ष 2016 में भी करीब एक हजार कर्मचारियों को पदोन्नत करना है, लेकिन वरिष्ठता सूचियों में गड़बड़ी से वास्तविक हकदारों को लाभ नहीं मिल पा रहा है। उधर, सूची को दुरस्त करने में अब अधिकारियों को खासी परेशानी उठानी पड़ रही है, क्योंकि संचालनालय के बाबू अपेक्षाकृत सहयोग नहीं कर रहे हैं। वे प्रकरणों को लंबित रखे हुए हैं। इससे सही नामों की छंटनी नहीं हो पा रही है।
दो माह चला अभियान
विभाग ने पिछली सूचियां जारी करने से पहले दो माह अभियान चलाकर वरिष्ठता सूचियों की गड़बड़ियां सुधरवाईं। जिला स्तर से सूचियों को दुरस्त करने के लिए टाइम लिमिट तय की गई, लेकिन स्थिति जस की तस रही। दरअसल, जिलों में भी शिक्षकों का पुराना रिकॉर्ड नहीं मिल रहा है। शिक्षकों के तबादले होते रहे और पुराना रिकॉर्ड उन्हीं जिलों में छूटता रहा।
कर्मचारियों की एजुकेशन ही बदल दी
वरिष्ठता सूची में डेट ऑफ ज्वाइनिंग, डेट ऑफ ऑर्डर में सर्वाधिक गड़बड़ी हैं। जिन कर्मचारियों ने दो विषयों में पोस्ट ग्रेजुएट किया है, उनका एक विषय दर्शाया जा रहा है। जबकि एक विषय वाले को दो विषय में पोस्ट ग्रेजुएट कर दिया गया। व्याख्याता स्कूल में पढ़ा रहा है और नाम हायर सेकंडरी प्राचार्यों की वरिष्ठता सूची में है। कुछ कर्मचारी तो सेवानिवृत्त हो गए हैं, लेकिन वरिष्ठता सूची में वे पदोन्नति की कतार में हैं। ये गड़बड़ियां जिला और संचालनालय स्तर पर हुई हैं।