नई दिल्ली। अब वो दिन दूर नहीं जब कर्मचारी तय करेंगे कि उन्हें मिलने वाली सैलरी का कितना हिस्सा किस मद में मिले। केंद्र सरकार इसी महीने पेश होने वाले आम बजट 2016 में कंपनियों और कर्मचारियों को इसकी आजादी दे सकती है। सूत्रों के मुताबिक श्रम मंत्रालय ने इसका प्रस्ताव भी तैयार कर लिया है।
मंत्रालय के प्रस्ताव के मुताबिक अगर किसी कंपनी में 40 या उससे अधिक कर्मचारी हैं तो कंपनी के कर्मचारी खुद तय कर सकेंगे कि उन्हें भविष्य निधि यानी पीएफ में निवेश करना है या नहीं। हेल्थ इंश्योरेंस, पेंशन स्कीम व अन्य भत्तों को लेकर भी विकल्प कंपनी कर्मचारियों के हाथ में होंगे कि वे खुद इसके बारे में निर्णय लें। ये नियम 40 या उससे ज्यादा कर्मचारी वाली कंपनियों पर लागू होगा। दो-तिहाई कमचारियों की सहमति के साथ ये फैसले लिए जा सकेंगे।
श्रम मंत्रालय चाहता है कि कर्मचारियों को सैलरी का ब्रेकअप खुद तय करने का अधिकार मिले। कर्मचारियों के पास पीएफ में निवेश करने या नहीं करने का विकल्प हो और पीएफ या न्यू पेंशन स्कीम में निवेश करने का विकल्प उनको मिले। एंप्लाई स्टेट इंश्योरेंस या सामान्य हेल्थ इंश्योरेंस में निवेश का विकल्प भी कर्मचारियों को मिल सकता है।
ये नियम 40 या उससे ज्यादा कर्मचारी वाली कंपनियों पर लागू होगा। दो-तिहाई कमचारियों की सहमति के साथ ये फैसले लिए जा सकेंगे। श्रम मंत्रालय के इस प्रस्ताव को लेकर बजट में ऐलान संभव है। टीमलीज के चेयरमैन मनीष सभरवाल इसे काफी बड़ा सुधार मानते हैं। सीएनबीसी-आवाज़ संपादक संजय पुगलिया के साथ खास मुलाकात में उन्होंने कहा था सैलरी को तय करने की आजादी मिलनी ही चाहिए। लेबर रिफॉर्म के बाद अब पेस्लिप वाली सैलरी और हाथ में आने वाली सैलरी तय करने का हक कर्मचारियों के हाथ ही हो।