नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के एक पैनल ने सिफारिश की है कि सहमति से काम करने वाले वयस्क सेक्स वर्क्स को पुलिस को गिरफ्तार नहीं करना चाहिए। यह पैनल देश में वेश्यावृत्ति का काम करने वाली महिलाओं के लिए अच्छी स्थितियों और उनके हितों की रक्षा के उपाय देख रहा है।
इस पैनल का गठन 2011 में किया गया था और यह मार्च में अपनी रिपोर्ट सौंपेगा। वेश्यावृत्ति देश में कानूनी रूप से मान्य है, लेकिन यह कानून के जाल में उलझा हुआ है। इसके कारण रेड लाइट एरिया में पुलिस की कार्रवाई में सेक्स वर्कर फंस जाते हैं, जहां वे अपना व्यापार सड़कों पर या गंदे वेश्यालयों में करते हैं।
पैनल ने कहा जब भी कभी वेश्यालय में दबिश दी जाती है, तो सेक्स वर्कर को गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए, उसे परेशान नहीं करना चाहिए या उसका शोषण नहीं करना चाहिए। स्वेच्छा से किया गया सेक्स कार्य गैरकानूनी नहीं है और सिर्फ वेश्यालय चलना ही गैरकानूनी है।
वरिष्ठ वकील प्रदीप घोष की अध्यक्षता वाली कमेटी ने कहा कि जो सेक्स वर्कर वेश्यावृत्ति को छोड़ना चाहते हैं, उनके पुनर्वास की व्यवस्था की जानी चाहिए, ताकि वे सम्मान के साथ जी सकें। देश की करीब 12 लाख वेश्यायाएं गरीबी के कारण इस पेशे में आने के लिए मजबूर की जाती हैं।
कमेटी ने यह भी कहा कि वेश्यावृत्ति करने वाले के माता-पिता, साथी या बच्चों के खिलाफ कोई कार्रवाई तब तक नहीं करनी चाहिए, जब तक यह साबित न हो कि वे लोग वेश्यावृत्ति के लिए महिला को मजबूर कर रहे हैं।