
ढाई हजार की आबादी वाले जखारा गांव में रहने वाली सपना के घर की हालत बेहद बुरी थी. गरीबी इतनी की कई बार तो पूरे परिवार को ही भूखे पेट सो जाना पड़ता था. इस बीच एक दिन घर लौटते समय सपना ने गांव की सफाई करने के दौरान स्कूल के मैदान में लड़कियों को कबड्डी खेलते देखा. ये खेल पूरी रात सपना के दिमाग में घूमता रहा. सुबह आंख खुली तो दिल में इस खेल को खेलने की इच्छा जागी. परिवार को बताया तो उन्होंने समाज का डर दिखाकर पैर रोक लिए.
इसके बाद वो रोज मैदान के बाहर जाकर खड़ी हो जाती और लड़कियों को खेलती देखती. एक दिन कोच जेएस परमार की उस पर नजर पड़ी और उन्होंने उस खेलने के लिए मैदान में बुला लिया. उस दिन खेल का पहला सबक पाते ही सपना की पूरी जिंदगी बदल गई. समाज की बातों को दरकिनार करते हुए उसने खेल को सीखना जारी रखा और जब दिसंबर 2015 में पहली मुख्यमंत्री कप कबड्डी चैंपियनशिप जीतकर गांव और जिले का नाम रोशन किया तो गांव में आलोचकों के मुंह अपने आप बंद हो गए.
अब सपना के साथ-साथ उसकी बहन प्रीति भी इस खेल का हिस्सा बन गई है. ये दोनों बहने अब अप्रैल में होने वाली ओपन नेशनल कबड्डी प्रतियोगिता की तैयारी कर रही हैं. इतना ही नहीं इनको मिलने वाले पैसों से दोनों बहने खुद ही अपनी पढ़ाई और घर का खर्चा भी उठा रही है और इन्हीं के कारण अब परिवार को भी भूखे पेट नहीं सोना पड़ता.