भ्रष्ट तहसीलदार व पटवारियों को हाईकोर्ट ने भी नहीं दी जमानत

ग्वालियर। हाईकोर्ट की युगल पीठ ने भ्रष्टाचार के आरोप में फंसे एक तहसीलदार व तीन पटवारियों को जमानत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अगर भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी को जमानत पर छोड़ा जाता है तो समाज में गलत संदेश जाएगा। इसलिए उन्हें जेल में ही रहना होगा।

श्योपुर के विशेष सत्र न्यायालय ने 28 दिसंबर 2015 को तहसीलदार वायएस चौहान, पटवारी लक्ष्मणदास गौड़, द्वारिका, ओमप्रकाश को 4-4 साल की सजा सुनाई थी और 5000-5000 रुपए का अर्थदंड लगाया था। तब से तहसीलदार व पटवारी जेल में बंद हैं। उन्होंने हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की। याचिका में बताया गया कि जांच में उन्हें गलत तरीके से फंसाया गया है और वो निर्दोष हैं।

ईओडब्ल्यू के अधिवक्ता सुशील चतुर्वेदी ने कोर्ट को बताया कि पट्टे में बड़ी धांधली की गई थी। पटवारियों ने अपराध करने में तहसीलदार का सहयोग किया और रिकॉर्ड में हेराफेरी कराई। भ्रष्टाचार के आरोप साबित हो चुके हैं। आरोपियों को सजा भी सुनाई जा चुकी है। हाईकोर्ट ने आरोपियों का रिकॉर्ड देखने के बाद उनकी जमानत खारिज कर दी।

क्या है मामला
वर्ष 2003 में श्योपुर जिले के कूनो अभयारण्य में विस्थापन का कार्य हुआ था। विस्थापित लोगों को दूसरी जगह जमीन दी गई थी। 140 पट्टों में तहसीलदार वायएस चौहान, पटवारी लक्ष्मणदास गौड़, द्वारिका, ओमप्रकाश ने आर्थिक अनियमितता की थी।

तहसीलदार ने अपने साले के नाम 5 पट्टे जारी कर दिए थे। इसमें तीनों पटवारियों ने मदद की थी। इसके अलावा पिछड़ा वर्ग के पट्टों में धांधली की गई थी, जिसको लेकर ईओडब्ल्यू में शिकायत दर्ज की गई। जांच में तहसीलदार व पटवारी दोषी पाए गए थे।
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