जाट आंदोलन के आगे झुकी सरकार, मानी मांगें

चंडीगढ़। जाट आरक्षण आंदोलन शनिवार को और भी तेज हो गया। इस बीच हरियाणा की बीजेपी सरकार ने कहा कि इसने समुदाय की मांगों को 'स्वीकार' कर लिया है जो ओबीसी श्रेणी में आरक्षण की मांग कर रहे हैं।

आंदोलनकारियों से अपना आंदोलन खत्म करने की अपील करते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शनिवार दोपहर को बयान जारी कर आंदोलनकारियों से अपील की कि 'वे अपने घरों को लौट जाएं, क्योंकि सरकार ने उनकी मांगों को स्वीकार कर लिया है।' उन्होंने इस पर विस्तार से जानकारी नहीं दी।

मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को चंडीगढ़ में सर्वदलीय बैठक के बाद कहा था, 'जाटों को आरक्षण देने का तरीका ढूंढा जाएगा।' जाट नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण की मांग कर रहे हैं।

आंदोलनकारियों ने शनिवार को 'सरकार से लिखित आश्वासन' की मांग करते हुए कहा कि 'हर बार खोखले वादों से मूर्ख नहीं बना सकते।' जाट आंदोलन शुक्रवार को ही हिंसक हो गया, जिससे एक व्यक्ति की मौत हो गई और यह राज्य के विभिन्न हिस्से में फैल गया। खट्टर ने शनिवार को कहा कि सार्वजनिक संपति को नुकसान पहुंचाने से कुछ भी हासिल नहीं होगा।

उन्होंने कहा, 'सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने से किसी को फायदा नहीं होगा। इसलिए आंदोलनकारियों और युवकों को राज्य में शांति बरतनी चाहिए।' उन्होंने लोगों से अपील की कि अफवाहों पर ध्यान नहीं दें। हरियाणा के मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार बीजेपी के सांसद राजकुमार सैनी के कथित बयान से सहमत नहीं है, जिन्होंने जाट आरक्षण का विरोध किया था।

जाट आंदोलन का विरोध करने के लिए कुरूक्षेत्र के सांसद से जाट खफा हैं। उन्होंने जाटों को आरक्षण देने पर आपत्ति जताई और चेतावनी दी कि अगर ओबीसी कोटा लागू किया गया तो वह इस्तीफा दे देंगे।
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