भोपाल। प्रदेश के 4 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारी 11 मार्च को हड़ताल पर रहेंगे। कर्मचारियों का आंदोलन 16 फरवरी को जिलों में ज्ञापन सौंपने से शुरू हो रहा है। संभाग स्तर पर नेताओं को आंदोलन की जिम्मेदारी सौंप दी गई हैं। कर्मचारी 50 फीसदी डीए मूलवेतन में मर्ज करने सहित 71 सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलित हैं।
राजधानी में रविवार को 'मप्र अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा" की बैठक आयोजित हुई। यहां प्रस्तावित चरणबद्ध आंदोलन पर विस्तार से चर्चा हुई। मोर्चा के संरक्षक भुवनेश पटेल ने बताया कि मांगों का ज्ञापन कई बार सौंपा जा चुका है। 29 अक्टूबर 2015 को सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव को आंदोलन की चेतावनी भी दी जा चुकी है। उन्होंने बताया कि नियत कार्यक्रम के तहत 16 फरवरी को प्रदेशभर में कर्मचारी मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के नाम कलेक्टरों को ज्ञापन सौंपेंगे। आंदोलन के दूसरे चरण में 1 मार्च को कलेक्टोरेट परिसर में धरना दिया जाएगा और तीसरे चरण में 11 मार्च को एक दिन की हड़ताल होगी।
मोर्चा के अध्यक्ष जितेन्द्र सिंह ने बताया कि प्रस्तावित हड़ताल से पहले सरकार मांगें पूरी करने के दिशा में ठोस कदम नहीं उठाती है, तो यहीं बेमुद्दत हड़ताल की घोषणा की जाएगी। उन्होंने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि ऐसा शायद प्रदेश में पहली बार हुआ है कि मुख्य सचिव परामर्शदात्री समिति की बैठक ले रहे हों और कर्मचारियों की एक भी मांग पूरी न की जाए। उन्होंने कहा कि इससे सरकार का असल चेहरा सामने आ रहा है। श्री सिंह के मुताबिक इस आंदोलन में तहसीलदार और मुख्य कार्यपालन अधिकारी संघ भी आम कर्मचारियों के साथ है।
बैठक में राजपत्रित अधिकारी संघ, मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ, लघु वेतन कर्मचारी संघ, राज्य कर्मचारी संघ, लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मचारी संघ, स्वास्थ्य कर्मचारी संघ, वाहन चालक यांत्रिक कर्मचारी संघ, मप्र शिक्षक कांग्रेस, शिक्षक संघ, कर्मचारी कांग्रेस, अपाक्स संघ, अजाक्स संघ, डिप्लोमा इंजीनियर एसोसिएशन, मप्र प्राध्यापक संघ, मप्र पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी संघ, वन कर्मचारी संघ, आईटीआई कर्मचारी संघ, राजस्व निरीक्षक संघ, पटवारी संघ, तहसीलदार संघ और सीईओ संघ के पदाधिकारी उपस्थित थे।