364 में से 276 तहसीलें सूखाग्रस्त, फिर कैसे मिला ‘कृषि कर्मण अवार्ड’

के.के. मिश्रा/भोपाल। केंद्र द्वारा प्रदेश के साथ की जा रही लगातार बेरूखी पर 18 फरवरी को सीहोर जिले के शेरपुर में आयोजित किसान सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अभिनंदन किसलिए और क्यों किया जा रहा है? उन्होंने यह भी कहा है कि जब प्रदेश सरकार ने स्वयं सरकारी दस्तावेजों में प्रदेश की 364 तहसीलों में से 276 तहसीलों को सूखा प्रभावित घोषित किया हो, प्रदेश की 44.17 लाख हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि पर बोई गई खरीफ की फसलों को सूखे से प्रभावित बताया है, जब सूखे के कारण उत्पादन ही नहीं बढ़ा तो प्रदेश को 4थी बार हासिल ‘‘कृषि कर्मण अवार्ड’’ किन फर्जी आंकड़ों पर प्राप्त हुआ है?

पूर्व में राजस्व विभाग की ओर से तैयार किये गये प्रस्ताव में केंद्र को 4239.39 करोड़ रूपयों का प्रस्ताव भेजा गया था, जिसमें अब तहसीलों की संख्या में वृद्धि के साथ 900 करोड़ रूपयों की अतिरिक्त सहायता राशि और बढ़ाये जाने की मांग की जा रही है, किंतु केंद्र ने प्रदेश में करीब 20 हजार करोड़ रू. की फसलें चौपट हो जाने के बाद मात्र 2033 करोड़ रूपयों की मदद की ही घोषणा की है, जो ‘‘ऊंट के मुंह में जीरा’’ के समान है। 

एक ओर राज्य सरकार के अधिकारी ‘कृषि कर्मण अवार्ड’ दिलाने के लिए कुछ ओर आंकड़े पेश करते हैं, दूसरी ओर केंद्र से किसानों की मदद प्राप्ति के लिए आंकड़ों का भ्रमजाल कुछ ओर पेश करते हैं, राज्य सरकार को इन विरोधाभाषी आंकड़ों की वास्तविक सच्चाई प्रदेश को बताना चाहिए।
  • लेखक प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता हैं 

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !