
विभाग के अधिकारियों के मुताबिक प्रदेश के कई इंजीनियरिंग कॉलेजों ने अपने यहां की सीटें 30 प्रतिशत तक कम कर दी हैं। इसके बावजूद पूरी सीटें भर नहीं पा रही हैं। पिछले साल ही कई कॉलेजों में बहुत कम दाखिले हुए थे। गौरतलब है कि पिछले साल इंजीनियरिंग कॉलेजों में केवल 48 हजार दाखिले हुए थे, जबकि सीटें करीब 90 हजार थीं। कम दाखिलों की वजह बिहार और झारखंड में कॉलेज खुलना और अन्य प्रदेशों के छात्रों का यहां से रुझान कम होना भी है। व्यापमं घोटाला भी इसकी एक वजह है।
लगातार बढ़ रहा खर्च
इंजीनियरिंग कॉलेज के संचालकों ने बताया कि कई कॉलेजों में पिछले तीन-चार साल से बहुत कम दाखिले हो रहे थे। ऐसे में स्टाफ का वेतन और अन्य खर्चे ही नहीं निकल पा रहे थे। यही वजह रही कि इंजीनियरिंग कॉलेज बंद करने पड़ रहे हैं। प्रदेश के करीब एक दर्जन बड़े कॉलेजों को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर कॉलेजों में सीटें खाली रह जाती हैं। इस वजह से इन्हें बंद करना ही उचित है।
पांच हजार सीटें कम होंगी
अधिकारियों के मुताबिक प्रदेश में 200 इंजीनियरिंग कॉलेज हैं। इनमें फिलहाल 90 हजार सीटें हैं, जिनमें से करीब पांच हजार सीटें इस बार कम हो जाएंगी। इस तरह अब दाखिले करीब 85 हजार सीटों पर होंगे। ज्ञात हो कि जेईई मेन के लिए भी केवल 82 हजार छात्रों ने ही आवेदन किया है।