
इस मामले में छात्रों का सिर्फ इतना कुसूर है कि उन्होंने इन स्कूलों में पढ़ाई की और यह भी नहीं देखा कि स्कूल को मान्यता मिली भी है या नहीं। चूंकि मंडल ने इस बार एक जुलाई से ही परीक्षा फार्म भरवा लिए थे। इसलिए सभी छात्रों ने नियमित परीक्षार्थी के रूप में फार्म भरे हैं।
महज 9 दिन बाद (एक मार्च को) हायर सेकंडरी और 10 दिन बाद हाईस्कूल परीक्षा शुरू हो रही है। परीक्षा के ठीक पहले छात्रों के घर पहुंची इस खबर ने छात्रों और उनके अभिभावकों का तनाव बढ़ा दिया है। बच्चे को सालभर स्कूल भेजने और पूरी फीस देने के बाद उसे परीक्षा में प्राइवेट छात्र के रूप में बैठना पड़ रहा है। नाराज अभिभावक स्कूल संचालकों पर गुस्सा निकाल रहे हैं, क्योंकि मान्यता खत्म होने के बाद भी वे अब तक छात्रों को प्राइवेट करने की बात को दबाए बैठे थे।
ऐसे निरस्त हुई मान्यता
स्कूल शिक्षा विभाग ने पहली बार हाईस्कूल व हायर सेकंडरी की मान्यता देने के अधिकार कलेक्टर को दिए हैं। जबकि जिला शिक्षा अधिकारियों (डीईओ) को मान्यता वृद्घि के अधिकार हैं। सभी डीईओ ने आसानी से मान्यता वृद्घि कर दी। जब ये फाइलें कलेक्टरों के पास पहुंचीं, तो प्रदेश में 1492 प्रकरण निरस्त कर दिए गए। कलेक्टरों के इस निर्णय के खिलाफ 253 स्कूलों ने आयुक्त लोक शिक्षण को अपील कर दी। आयुक्त ने कलेक्टरों की आपत्ति को सही मानते हुए अपील निरस्त कर दी। ऐसे ही 108 स्कूलों को पिछले साल हाईस्कूल की अस्थाई मान्यता दे दी गई थी। आयुक्त ने इसे भी गलत माना। क्योंकि मान्यता अधिनियम में अस्थाई मान्यता देने का प्रावधान ही नहीं है। इसलिए इन स्कूलों की मान्यता भी निरस्त कर दी गई। सभी स्कूलों की मान्यता निरस्त होने की सूचना मिलने के बाद मंडल ने इन स्कूलों में सालभर पढ़े छात्रों को परीक्षा में प्राइवेट परीक्षार्थी के रूप में शामिल करने का निर्णय ले लिया।
यह नुकसान होगा
दोनों परीक्षा में प्राइवेट करने का नुकसान छात्रों को नौकरी के समय उठाना पड़ेगा। दरअसल, आर्मी सहित कुछ अन्य विभाग प्राइवेट पढ़ाई करने वाले छात्रों को नौकरी में प्राथमिकता नहीं देते हैं।
स्कूल संचालकों ने लगाए आरोप
स्कूल संचालक सभी छात्रों को नियमित परीक्षार्थी के रूप में परीक्षा में शामिल करने की मांग कर रहे हैं। इसे लेकर संचालक मंडल और डीपीआई के अधिकारियों से मिल चुके हैं। वे विभाग के मंत्री पारसचंद्र जैन और राज्यमंत्री दीपक जोशी से भी मिल आए हैं, लेकिन समस्या नहीं सुलझ रही। उधर भोपाल प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अजीत सिंह का कहना है कि विभाग हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ के आदेश भी नहीं मान रहा है। हाईकोर्ट ने 31 मार्च-16 तक नियमित रहे छात्रों को नियमित ही रखने के आदेश दिए हैं। एसोसिएशन ने अधिकारियों पर गड़बड़ी का आरोप भी लगाया है। उसका कहना है कि जब सारे प्रकरणों का निराकरण 22 दिसंबर-15 की स्थिति में हो गया, तो लक्ष्मीबाई स्मारक उमावि ग्वालियर को 29 जनवरी को मान्यता कैसे जारी की गई।
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सभी स्कूलों के प्रकरण अपील समिति ने निरस्त किए हैं। उनमें अब कुछ भी गुंजाइश नहीं है। 29 जनवरी को जिस स्कूल को मान्यता जारी की गई है। उसका नाम उन स्कूलों की सूची में गलती से शामिल हो गया था, जिनकी मान्यता निरस्त कर दी गई है। गलती पता चली, तो सुधार दी।
एके दीक्षित, संचालक, लोक शिक्षण