भोपाल। राज्य के 55 हजार दैनिक वेतन भोगियों (दैवेभो) को जल्द ही अच्छी खबर मिल सकती है। सोलह साल से संघर्ष कर रहे इन लोगों को सरकार जल्द ही न्यूनतम वेतनमान देने जा रही है। इससे उनका वेतन कम से कम 13 हजार रुपए हो जाएगा। सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से यह प्रस्ताव मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भेज दिया गया है। इसे मंजूरी के लिए कैबिनेट में पेश किया जाएगा।
इस समय मप्र में चार श्रेणियों में दैवेभो को फिक्स राशि मिल रही है। यदि किसी को काम करते हुए 10 साल हो गए हैं तो उसे 1500 रुपए तथा जिसे 20 साल हो गए हैं, उन्हें 2500 रुपए अतिरिक्त मिलते हैं। प्रतिमाह मिलने वाली राशि कम होने के कारण ही दैवेभो इसे बढ़ाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। दैवेभो यूनियन के नेता अशोक पांडे का कहना है कि न्यूनतम वेतनमान लागू होगा तो उनका न्यूनतम वेतन 2000 रुपए से 12 हजार रुपए तक बढ़ जाएगा। राज्य सरकार का यह अच्छा प्रयास है। हम काफी समय से इसकी लड़ाई लड़ रहे हैं।
ये होगा न्यूनतम वेतन
वेतनमान 4400-7440 रुपए तथा इस पर 1800 रुपए ग्रेड पे होता है। इस हिसाब से ही वेतन बढ़ेगा। यानी न्यूनतम वेतन 13 हजार रुपए से लेकर अधिकतम वेतन 21 हजार रुपए तक हो सकता है।
दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल में 31 दिसंबर 1988 के बाद नियुक्त हुए 28 हजार दैवेभो को वर्ष 2000 में यह कहकर हटा दिया गया था कि इससे पहले वालों को नियमित कर दिया जाएगा। तब आंदोलन तेज हुआ। भाजपा ने दैवेभो को नियमितीकरण का भरोसा दिलाया। वर्ष 2003 में कांग्रेस की सरकार जाने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री उमा भारती ने 2004 में हटाए गए दैवेभो को वापस रखा। लेकिन न वे नियमित हुए और न ही न्यूनतम वेतनमान मिला। गत 10 अप्रैल 2006 व जनवरी 2015 में कोर्ट ने दैवेभो के पक्ष में निर्णय दिए। अब जाकर उस पर अमल होगा।