भोपाल। पुलिसकर्मियों के खिलाफ बढ़ते मामलों को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में सभी राज्यों को पुलिस शिकायत अथॉरिटी गठित करने के निर्देश दिए थे, लेकिन मध्यप्रदेश में अभी तक इस दिशा में कोई काम नहीं हो सका है। देश में छह राज्यों ने केंद्र के निर्देश मानते हुए पुलिस शिकायत अथॉरिटी का गठन भी कर दिया। नतीजतन इन राज्यों में पुलिसकिर्मियों के खिलाफ दर्ज होने वाले मामलों पर सख्ती से कार्रवाई होने लगी और पहले की तुलना में शिकायतों का ग्राफ भी कम हुआ, लेकिन मध्यप्रदेश में यह लगातार बढ़ता जा रहा है। 2014 में ही करीब 11 हजार मामले पुलिसकर्मियों के खिलाफ दर्ज हुए।
कॉन्स्टेबल से लेकर डीजीपी तक सब दायरे में
यदि पुलिस शिकायत अथॉरिटी का गठन कर दिया जाए, तो इसके दायरे में पुलिस महकमे के कॉन्स्टेबल से लेकर डीजीपी तक सभी की शिकायत की जा सकती है। जहां जिला जज और हाईकोर्ट के रिटायर जज का पैनल मामले की सुनवाई करेंगे।
शिकायत पर खुद ही करती है जांच
मौजूदा व्यवस्था में पुलिसकर्मियों के खिलाफ दर्ज होने वाली शिकायतों पर पुलिस स्वयं ही जांच करती है। नतीजतन आधे से ज्यादा मामले नस्तीबद्ध हो जाते हैं। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार 2014 में मध्यप्रदेश में पुलिसकर्मियों के ऊपर 10 हजार 887 मामले दर्ज हुए, जो कि देश में दिल्ली के बाद किसी भी राज्य की तुलना में सबसे ज्यादा थे। इन मामलों में भी पुलिस ने 6871 मामलों की जांच कर पाई, जिसमें पुलिस ने शिकायतों को झूठा और अप्रमाणित साबित किया, जबकि शेष मामलों में जांच चल ही रही है।