
दरअसल केंद्र सरकार ने सात साल पहले 2008 में कपनसेटरी अफोरडेशन फंड मैनेजमेंट एंड प्लानिंग अथारिटी (कैंपा) नाम से फंड बनाया है। इसमें राज्यों में वन भूमि के डायवर्सन के रूप में मिलने वाली राशि केंद्र के इस फंड में BMW-X5M-009 जमा की जाती है। केंद्र सरकार निर्धारित मात्रा में राज्यवार इस राशि का आवंटन करती है। इस फंड में पूरे देश से करीब 50 हजार करोड़ रुपए जमा है। इनमें मप्र के ही तीन हजार करोड़ रुपए से ज्यादा शामिल है। सुप्रीम कोर्ट कैंपा फंड की मानीटरिंग करता है। मप्र को पिछले सात सालों में 531 करोड़ रुपए मिल चुके हैं।
सर्किल से नहीं दे रहे हिसाब किताब
कैंपा कोष की निगरानी के लिए पहली बार प्रदेश में प्रधान मुख्य वन आरक्षक (पीसीसीएफ) और अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (एपीसीसीएफ) के पद का सृजन किया गया। पीसीसीएफ कैंपा के पद पर पहली बार 1980 बैच के आईएफएस धर्मेंद्र शुक्ला और 1985 बैच के आईएफएस अधिकारी भरत कुमार शर्मा की पदस्थापना की गई। शुक्ला ने फील्ड में अब तक व्यय किए गए कैंपा कोष का हिसाब-किताब मांगा तो एक-दो सर्किलों को छोड़कर किसी ने भी कैंपा कोष का रिकार्ड मुख्यालय नहीं भेजा।
ज्यादा राशि मिलेगी
कैंपा पर कानून बनने के बाद मप्र को मिलने वाली राशि में इजाफा होगा। विभाग के वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि ज्यादा राशि मिलने से वनीकरण और वन्य व वन्य प्राणियों का संरक्षण और संवद्र्धन बेहतर तरीके से हो सकेगा।
संसदीय समिति का दौरा 23 को
केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर कैंपा फंड को लेकर लोकसभा में विधेयक लेकर आ रही है। बिल को लेकर सांसद अश्विनी कुमार की अध्यक्षता में संसदीय दल की कमेटी बनी हुई है। यह कमेटी देशभर में दौरा कर कैंपा फंड को लेकर वन विभाग के अफसरों, रिटायर वन अफसरों, विशेषज्ञों, एनजीओ और अन्य लोगों से सुझाव ले रही है। यह कमेटी 23 जनवरी को भोपाल आ रही है। अगले दिन यह कमेटी नागपुर जाएगी।
531 करोड़ में से 320 करोड़ खर्च किए
विभागीय सूत्रों का कहना है कि कैंपा फंड से पिछले सात सालों में 531 करोड़ में से 320 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। फंड की राशि के दुरुपयोग के मामले सामने आ रहे हैं। इस फंड के तहत मैदानी अमले के लिए गाडिय़ां खरीदने का प्रावधान है। विभाग ने पिछले साल 127 गाडिय़ां खरीदी थी। इसमें 30 गाडिय़ां लग्जरी थीं। इसके अलावा अफसरों के दतरों की साज-सज्जा और सुविधाएं बढ़ाने पर यह राशि खर्च की जा रही है। विभाग के वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि इस फंड की राशि का इस्तेमाल वृक्षरोपण, रिसर्च, वन्य प्राणी संरक्षण और संवद्र्धन, इंफ्रास्ट्रक्चर और टै्रनिंग पर खर्च किया जाना है।