
स्काउट गाइड एसोसिएशन के चुनाव 23 जनवरी को होने थे। इसमें भाजपा की ओर से अशोक अर्गल, पूर्व सांसद जितेन्द्र सिंह बुंदेला, स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री दीपक जोशी, मंत्री पारस जैन, पूर्व मुख्य आयुक्त डीएस राघव समेत दो दर्जन से अधिक दावेदार थे। स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री दीपक जोशी और पूर्व सांसद जितेन्द्र सिंह बुंदेला भी अध्यक्ष और चीफ कमिश्नर पद के दावेदार थे पर संगठन ने पारस जैन को चीफ कमिश्नर और अशोक अर्गल को अध्यक्ष बनाने का निर्णय लिया। इसके बाद नामांकन की प्रक्रिया में भी संगठन की ही चली। नामांकन पत्रों की जांच के बाद जब अन्य दावेदारों ने नामांकन निरस्त किए गए तो बवाल मच गया। राज्य मुख्य आयुक्त पद के प्रत्याशी भंवर शर्मा, सालों तक स्काउट गाइड के चीफ कमिश्नर रहे डीएस राधव, वर्तमान उपाध्यक्ष कैलाश मिश्रा समेत कई दावेदारों ने इसकी लिखित शिकायत दिल्ली स्थित राष्टÑीय मुख्यालय में कर दी और पूरी चुनाव प्रक्रिया में नियमों का पालन न होने की बात की। इसके बाद दिल्ली से राष्टÑीय उपाध्यक्ष केपी मिश्रा 13 जनवरी को अचानक भोपाल आए और उन्होंने पूरी चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगा दी और शिकायतों की जांच के लिए सारा रिकार्ड दिल्ली ले गए।
देश में कहीं नहीं हैं मंत्री चीफ कमिश्नर
पूरे देश में स्काउट-गाइड एसोसिएशन का काम चल रहा है। बच्चों के लिए काम करने वाली इस संस्था में किसी भी प्रदेश में स्कूल शिक्षा मंत्री चीफ कमिश्नर पद पर नहीं है। प्रदेश में पहली बार किसी कैबिनेट मंत्री को यह पद दिया जा रहा था। दिलचस्प यह भी है कि मंत्री का नाम 14 दिसम्बर को जारी हुई सदस्यता सूची में भी नहीं है।
सत्ता के जोर पर नियमों की अनदेखी
राज्य मुख्य आयुक्त पद के प्रत्याशी भंवर शर्मा और वर्तमान उपाध्यक्ष कैलाश मिश्रा का आरोप है कि सत्ता और संगठन के हस्तक्षेप से स्काउट-गाइड जैसे पवित्र संगठन में राजनीति की जा रही है। भंवर शर्मा के मुताबिक उन्होंने अपना नामांकन पर्चा वापस नहीं लिया था पर उनके फर्जी दस्तखत से उनका पर्चा भी वापस दिखा दिया गया। इसकी शिकायत दिल्ली में की है।