
कोर्ट ने कहा कि एफसीआई में काफी गड़बड़ियां हैं और इसकी व्यवस्था पूरी तरह से असंतोषजनक है। मामले की अगली सुनवाई 18 जनवरी को होगी।
मुख्य न्यायधीश टी़एस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ के आदेश के खिलाफ एफसीआई वर्कर्स यूनियन की अपील पर सुनवाई कर रही थी। उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट के आधार पर केंद्र सरकार के लिए लिए कुछ निर्देश पारित किए थे।
उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए पीठ ने कहा कि खाद्य निगम को सालाना 1800 करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है, जबकि इसके विभागीय श्रमिक अपने नाम पर दूसरों को काम पर लगाने में लगे हैं जोकि उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट से स्पष्ट है।
उच्च स्तरीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 370 श्रमिकों को प्रति माह करीब 4.5-4.5 लाख रुपये का वेतन मिल रहा है। जितना भुगतान किया जाना चाहिए, यह उससे 1800 करोड़ रुपये अधिक है पर आपको ठेके पर श्रमिक रखने की छूट नहीं है। कैसे एक श्रमिक द्वारा प्रतिमाह 4.5 लाख रुपये की कमाई की जा सकती है।
हालांकि एफसीआई के वकील ने कहा कि विभागीय कर्मचारियों को एक महीने में करीब 1.1 लाख रुपये कमाने के लिए विभिन्न प्रोत्साहन मिलते हैं। लेकिन पीठ ने कहा, ये प्रोत्साहन योजनाएं क्या हैं। अपने नाम पर दूसरों को काम पर रखने का आरोप है। यह एक तरह से अपने काम को उप ठेके पर देना है।