जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने समान काम के लिए समान वेतन निर्धारित न किए जाने के रवैये को आड़े हाथों लिया। इसी के साथ प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा को निर्देश दे दिया गया कि वे 3 माह के भीतर याचिकाकर्ता की शिकायत दूर करें।
प्रशासनिक न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन की एकलपीठ में मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता मंडला निवासी सुनील कुमार मरावी का पक्ष अधिवक्ता संदीप कुमार दुबे ने रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता अतिथि शिक्षक बतौर लंबे समय से सेवा देता चला आ रहा है। चूंकि उसे वेतन के नाम पर नाममात्र के मानदेय से संतुष्ट किया जाता है, अतः जीवन-यापन मुश्किल हो गया है। इसके बावजूद बेरोजगारी से बचने इसी काम में जुटना मजबूरी है। जब उसे गुरुजी को मिले लाभ की जानकारी मिली तो वह न्यायहित में हाईकोर्ट चला आया। उसका यही कहना है कि जैसे उसके समान काम करने वाले गुरुजी को संविदा शिक्षक बनने का सौभाग्य मिला, वैसे ही उसे भी मिलना चाहिए। साथ ही विभिन्न बाध्यताओं के संबंध में भी गुरुजी की तरह छूट अपेक्षित है।