ये पांच लाख बच्चे बचाए जा सकते हैं

राकेश दुबे@प्रतिदिन। भारत में जी हाँ भारत में, हर साल पांच लाख बच्चे उन बीमारियों से मर जाते हैं,जिनका इलाज टीकाकरण से संभव है| सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (यूआईपी)’ के 30 साल के बाद भी हमारे देश में हर साल जन्म लेने वाले सभी बच्चों में से 65.2 प्रतिशत ही अपनी जिंदगी के शुरुआती सालों में पूर्ण टीकाकरण कराते हैं| नवजात शिशु और छोटे बच्चे जो बेहतर भविष्य के हकदार हैं, उन्हें स्वस्थ बनाने यानी सपूर्ण टीकाकरण के लिए भारत सरकार ने दिसम्बर 2014 में ‘मिशन इंद्रधनुष’ नामक अभियान की शुरुआत की थी|  यह दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान है| 

मिशन इंद्रधनुष का लक्ष्य वर्ष 2020 तक कम से कम 90 प्रतिशत बच्चों का टीकाकरण है| भारत का यूआईपी कार्यक्रम दुनिया के सबसे बड़े कार्यक्रमों में से एक है व यह सात जानलेवा बीमारियों-डिप्थेरिया, काली खांसी, टेटनस, टीबी, खसरा और हेपेटाइटिस बी के खिलाफ टीकाकरण उपलब्ध कराता है|  इस कार्यक्रम के जरिए भारत में पोलियो, खसरा व मातृ एवं नवजात शिशु में टेटनस को खत्म किया गया है लेकिन इस कार्यक्रम की विस्तारित पहुंच के बावजूद देशभर में 89 लाख बच्चों को या तो कुछ ही टीके मिलते हैं या कोई भी टीका नहीं मिलता है|शहरी इलाकों में 5 प्रतिशत तो ग्रामीण इलाकों में आठ प्रतिशत बच्चे टीकारहित रह जाते हैं| अब सवाल यह पैदा होता है कि सारे बच्चे टीकाकरण की जद में कैसे आये और जो  रह गए हैं उनका क्या हो ?.

एक सर्वे बताता है कि 23.3 प्रतिशत  लोगों ने टीकाकरण की जरूरत ही महसूस नहीं की|  23.6 लोगों को इसकी जानकारी ही नहीं थी| 23.7 प्रतिशत लोगों को इस बात की जानकारी तक नहीं थी कि टीकाकरण के लिए कहां जाना चाहिए? 14.7 प्रतिशत लोगों ने अपने बच्वों को इसलिए टीके नहीं लगवाए क्योंकि उनके मन में टीकों के साइड इफेक्ट को लेकर कई प्रकार की आशंकाएं थी|

 इस तरह देश में ‘नियमित रोग-प्रतिरक्षण’ (रूटीन इम्युनीइेजान) टीकाकरण कार्यक्रम को कारगर बनाने, हर बच्चे तक पहुंचने के लिए मिशन इंद्रधनुष अभियान शुरू किया गयाथा | मिशन इंद्रधनुष के तहत विशेष टीकाकरण अभियान में बचपन की बीमारियों, विकलांगता और मौत के जोखिम वाले टीकारहित और आंशिक रूप से टीकाकृत बच्चों को लक्षित किया गया था | . सरकार ने खुद स्वीकारा है कि बीते चार सालों से सम्पूर्ण टीकाकरण कवरेज में औसतन महज एक फीसद की दर से वृद्धि हुई है | आबादी में वृद्धि के मुकाबले में यह आंकड़ा क्या है ? सोच का विषय है |


  • श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
  • संपर्क  9425022703
  • rakeshdubeyrsa@gmail.com 
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