पिता ने बेटी को दहेज में दिया भूसा

झांसी। बुंदेलखंड में कम वर्षा के कारण सूखे के हालात बन गए हैं, इंसान को दाना और जानवर को चारे के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. संकट से जूझते लोग एक-दूसरे की मदद के लिए आगे आ रहे हैं. ऐसा ही नजारा महोबा जिले के सूपा गांव में देखने को मिला, जहां एक पिता मकर संक्रांति के उपहार के तौर पर बैलगाड़ी में भूसा भरकर बेटी की ससुराल पहुंचा.

महोबा जिले के सिलाट गांव के परीक्षित प्रजापति की बेटी शगुन की शादी सूपा गांव में हुई है, सुमन के तीन बच्चे हैं. परिवार का रोजगार का जरिया खेती और पशुपालन है. मगर इस बार सूखे की मार ने खेतों को वीरान मैदान में बदल दिया है. पानी की कमी के चलते बीज के भी बेकार होने की आशंका थी, इसलिए बुवाई भी नहीं की. इसके चलते जानवरों के लिए भूसे का संकट खड़ा हो गया है.

शगुन के घर में भूसा न होने की खबर जब उसके पिता परीक्षित को हुई तो वे सिलाट से बैलगाड़ी में भूसा भरकर बेटी की घर जा पहुंचे. परीक्षित ने बताया कि वैसे तो मकर संक्रांति के मौके पर मिठाई और फल भेजने की परम्‍परा रही है, मगर इस बार वो बेटी की जरूरत को ध्यान में रखकर भूसा लेकर पहुंचे हैं. उनके दामाद और बेटी के लिए भूसा खरीदना आसान नहीं है, यही कारण है कि वे अपने घर से भूसा लेकर यहां आए हैं.

परीक्षित का कहना है कि परिवार के बड़े सदस्यों का तो किसी तरह पेट भर जाएगा, मगर बच्चों के लिए तो दूध चाहिए ही, अगर जानवर को भूसा नहीं होगा तो बच्चों को दूध कैसे मिलेगा, इसी को ध्यान में रखकर वे बेटी की ससुराल पहुंचे हैं.

परीक्षित जैसे ही भूसा से भरी बैलगाड़ी लेकर पहुंचे तो शगुन और उसके पति रमेश के चेहरे खिल उठे. उन्होंने आपस में मिलजुलकर बैलगाड़ी को खाली कराया. उन्हें पता है कि यही भूसा उसके जानवर को बचाएगा, उसके पास केवल एक भैंस और उसका बच्चा है. सूखे में जब पेट भरने के लिए अन्न नहीं होगा, तब किसान के परिवार का सहारा यही भैंस हेागी.
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