भोपाल। भारत स्काउट गाइड के चुनावी दंगल में शिक्षा मंत्री पारस जैन और राज्य मंत्री दीपक जोशी की दावेदारी अचानक नहीं आई बल्कि ये बीजेपी का ही 'गेम-प्लान' था । यह प्लान बीजेपी मुख्यालय में तैयार हुआ था और इसका मकसद था,पूर्व सांसद जितेंद्र सिंह बुंदेला और उनके खासमखास रामनरेश तिवारी की दावेदारी को रोकना तथा अध्यक्ष के लिए अशोक अर्गल का रास्ता आसान बनाना।
भाजपा सूत्रों का कहना है कि बुंदेला और तिवारी की जोड़ी के खिलाफ लंबे समय से बीजेपी संगठन को भारी गड़बड़ियों की शिकायतें मिल रही थीं। दोनों ने भारत स्काउट गाइड के चुनाव का तानाबाना इस तरह बुना था कि अनेक तगड़े दावेदार चुनाव के अखाड़े में उतरने से अयोग्य हो रहे थे। इसके लिए वोटर लिस्ट को मनमाने तरीके से तैयार कराया गया था।
बीजेपी संगठन ने पूरे मामले की जानकारी बुलाने के बाद विजेश लूनावत और अरविंद भदौरिया को मामला संभालने के लिए तैनात किया। इसके बाद बुंदेला को रोकने के लिए ही शिक्षा मंत्री पारस जैन तथा राज्य मंत्री दीपक जोशी का नाम अध्यक्ष पद के दावेदार के तौर पर उभारा गया। बाद में दोनों के नामांकन निरस्त हो गए,लेकिन तब तक बीजेपी की रणनीति कामयाब हो चुकी थी। बताते हैं कि प्रदेश बीजेपी ने पूर्व सांसद अशोक अर्गल के लिए यह रास्ता निकाला था। यह योजना कामयाब हो गई तथा अर्गल अब स्काउट-गाइड के अकेले उम्मीदवार हैं।
संगठन अध्यक्ष के चुनाव 23 जनवरी को होंगे। ज्ञात हो फिलहाल बुंदेला इस संगठन के राज्य मुख्य आयुक्त और नानाभाऊ मोहोड अध्यक्ष हैं। दूसरी ओर पारस जैन को संगठन का मुख्य आयुक्त और राज्यमंत्री दीपक जोशी को उपाध्यक्ष बनाने पर सहमति बन गई है, दोनों के नामांकन भी वैध पाए गए हैं। सूत्र बताते हैं कि बीजेपी संगठन ने निर्विरोध निर्वाचन के लिए पूरी मशक्कत की थी।
अशोक अर्गल की रूचि देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तथा प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने परदे के पीछे भूमिका निभाई। इधर पारस जैन का कहना है कि उन्हें जो दायित्व मिलेगा उसे पूरी ताकत से निभाएंगे।
नामांकन और वापसी के फार्म भरवाए नेताओं ने
सूत्र बताते हैं कि बीजेपी नेताओं भारत स्काउट गाइड के सभी उम्मीदवारों के नामांकन पत्र अपने सामने भरवाए थे,साथ में नाम वापसी का फार्म भी भरवा लिया गया था। बीजेपी का साफ निर्णय था कि किसी भी सूरत में मतदान की नौबत नहीं आना चाहिए। इसीलिए पारस जैन, दीपक जोशी, जितेंद्र सिंह बुंदेला, रामनेरश तिवारी, अशोक अर्गल आदि को स्पष्ट समझा दिया गया था कि पार्टी क्या चाहती है। दबाव बढ़ता देख बुंदेला ने हथियार डाल दिए। वहीं दोनों मंत्रियों के मतभेद की हवा को इरादतन चलने दिया गया। इधर भाजपा उपाध्यक्ष विजेश लूणावत का सिर्फ इतना कह रहे हैं कि संगठन ने जो निर्णय लिया,उसका पालन किया गया है।