भोपाल। ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के पदों पर मध्ययप्रदेश के मूल निवासी को ही मौका मिलेगा। कृषि विभाग ने छत्तीसगढ़ की तर्ज पर पद मध्यप्रदेश के बाहर के निवासियों को इन पदों की सीधी भर्ती में शामिल नहीं किए जाने का निर्णय लिया है। अब इसका प्रस्ताव तैयार कर कैबिनेट में रखा जाएगा।
प्रदेश में इस समय 12सौ से ज्यादा ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के पद खाली हैं। कैबिनेट से मंजूरी मिलते ही भर्ती की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। कृषि विभाग ने व्यापमं के माध्यम से ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी सहित 12 सौ से ज्यादा पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था। इसमें मध्यप्रदेश का मूल निवासी होना जरूरी नहीं था।
जिसे लेकर छात्रों ने कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन से मुलाकात कर उन्हें छत्तीसगढ़ के नियमों के बारे में बताया और 6 सिंतबर को आयोजित परीक्षा निरस्त करने की मांग की थी। छात्रों के विरोध के चलते विभाग ने परीक्षा स्थगित कर दी और छत्तीसगढ़ से नियम बुलाकर उनका अध्यन कराया। छत्तीसगढ़ में तृतीय श्रेणी के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी पद के लिए मूल निवासी की शर्त अनिवार्य है।
सोमवार को कैबिनेट में जब प्रदेश के बाहर के आवेदकों की आयु सीमा 40 से घटाकर 35 करने का प्रस्ताव आया तो कृषि मंत्री ने ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी पद के लिए मूल निवासी का प्रावधान करने का मुद्दा उठाया। मुख्यमंत्री ने मंत्री की बात का समर्थन करते हुए प्रस्ताव तैयार करने के लिए कहा।
कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि तृतीय श्रेणी के इन पदों पर मध्यप्रदेश के मूल निवासियों की ही भर्ती होनी चाहिए। इससे कृषि विस्तार के कार्यक्रम प्रभावी तरीके से लागू हो पाएंगे। दरअसल, प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालय और कॉलेजों में प्रदेश की प्रकृति और खेती के तरीकों के बारे में ही पढ़ाया जाता है। कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन का कहना है कि सामान्य प्रशासन विभाग को पत्र लिखकर सलाह मांगी है।