मप्र में सरकारी खरीद पर रोक

भोपाल। प्रदेश सरकार ने साल के आखिरी में आनन-फानन में होने वाली खरीदी पर रोक लगा दी है। बिना वित्त विभाग से पूछे अब कोई विभाग खरीदी नहीं कर सकेगा। दवाई और खाद्य सामग्री को इस बंधन से छूट दी गई है। ये प्रतिबंध नया बजट आने तक लागू रहेगा। राज्य पर कर्ज का बोझ सवा लाख करोड़ के आसपास हो गया है।

आमतौर पर विभाग वित्तीय वर्ष के अंतिम महीनों में ताबड़तोड़ खरीदी करते हैं। इससे वित्तीय व्यवस्था गड़बड़ाने का खतरा रहता है, इसलिए खरीदी पर 15 जनवरी से रोक लगा दी है।

वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अब कुछ कामों को छोड़कर बाकी खरीदी बिना विभाग की अनुमति लिए नहीं होगी। लघु उद्योग निगम सहित सार्वजनिक उपक्रमों के माध्यम से भी खरीदी पर पाबंदी लगाई है। विदेशी सहायता प्राप्त परियोजना, अतिरिक्त केंद्रीय सहायता से चलने वाली योजना, पेयजल और सुरक्षा से जुड़ी खरीदी पर रोक नहीं रहेगी। 5 हजार रुपए तक के डाक टिकट या आकस्मिक व्यय भी विभाग कर सकते हैं। इसके पहले भी खर्चों पर नियंत्रण के लिए वाहन खरीदी, विदेश यात्रा, हवाई यात्रा, आलीशान होटलों में रुकने सहित अन्य कामों पर प्रतिबंध्ा लगाया जा चुका है।

गड़बड़ी न हो, इसलिए लगाई रोक- वित्त विभाग ने जारी आदेश में कहा है कि वित्तीय वर्ष के अंतिम माहों में जल्दबाजी में खरीदी की कार्रवाई की जाती है। इसमें तय प्रक्रिया और वित्तीय अनुशासन में चूक की संभावना रहती है, इसलिए खरीदी पर प्रतिबंध्ा लगाया गया है।

कर्ज लेकर चला रहे हैं काम- लोक निर्माण, जल निगम, नगरीय निकाय भी बजट के अलावा कामों को पूरा करने के लिए कर्ज ले रहे हैं। लोक निर्माण विभाग मुख्य जिला सड़कों को बनाने के लिए एशियन डेवलपमेंठ बैंेक और न्यू डेवलपमेंट बैंक से लगभग 10 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लेने जा रहा है। इसके पहले भी एडीबी और नाबार्ड से सड़क बनाने कर्ज लिया जा चुका है। राज्य सहकारी बैंक भी बाजार से कर्ज लेने की तैयारी में था लेकिन नाबार्ड ने दो हजार करोड़ रुपए का कर्ज मंजूर कर दिया है। मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के लिए विश्व बैंक से 5 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लेने पर सैद्धांतिक सहमति हो चुकी है। जल निगम समूह जल योजनाओं के लिए 3 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले रहा है तो नगरीय निकायों भी अपने स्तर पर कर्ज लेकर योजना चला रहे हैं।

प्रति व्यक्ति 16,430 कर्ज
वित्तीय स्थिति खराब होने के कारण राज्य सरकार पिछले साल से हर दूसरे माह बाजार से कर्ज उठा रही है। आज की स्थिति में हर व्यक्ति पर 16,430 और प्रदेश पर कुल 1 लाख 19 हजार 231 करोड़ का कर्ज हो गया है। उल्लेखनीय है कि सरकार ने जून में 1000, जुलाई में 1500 और अगस्त में 1500 करोड़ और सितंबर में 1000 और नवंबर को 3500 ,दिसंबर में भी कर्ज लिया है।

पिछले वर्षो में भी गड़बड़ाए थे समीकरण
वित्तीय वर्ष 2013-14 ,14-15 को समाप्त हुए वर्ष में भी राज्य सरकार की माली हालात लड़खड़ाई थी। वित्त विभाग ने आनन-फानन में सभी विभागों को आदेश जारी कर 10 करोड़ से अध्ािक के खर्च की अनुमति लेने के आदेश जारी किए थे। इसके पहले जनवरी 2013 में विभाग ने 25 करोड़ से अध्ािक की खरीदी के लिए अनुमति लेने के आदेश जारी कर राजकोषीय घाटे को 3 प्रतिशत से अध्ािक होने से रोका था। लेकिन इस बार हालात कुछ नाजुक बताए जा रहे हैं, यही वजह है कि वेतन छोड़कर 5 करोड़ तक के भुगतान पर रोक लगी हुई है।

सीमा के भीतर है कर्ज- वित्त मंत्री जयंत मलैया का कहना है कि एक लाख 15 हजार करोड़ रुपए के आसपास कर्ज है, जो नियमों के दायरे में आता है। राज्य की वित्तीय स्थिति अच्छी है। खरीदी पर रोक हर साल लगाई जाती है ताकि वित्तीय अनुशासन बना रहे।
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