भोपाल। घर का बजट तय करते हुए अगले दो माह में कुछ बचत कर लें क्योंकि अप्रैल से शुरू होने वाले शैक्षणिक सत्र में निजी स्कूलों की किताब-कॉपियां महंगी मिलेंगी। तब बचत की राशि काम आएगी। राजधानी के ज्यादातर निजी स्कूल प्राइवेट पब्लिसर्स से सांठगांठ के चलते कोर्स की किताबें बदल रहे हैं और इसमें प्रशासन की भूमिका भी संदिग्ध है। अलग-अलग कक्षा के कोर्स के दाम 100 से 500 रुपए तक बढ़ने की संभावना है।
स्कूल एवं पब्लिसर्स की मिलीभगत की परिणति महंगे कोर्स के रूप में सामने आने वाली है। पब्लिसर्स के ऑफर्स ने स्कूल संचालकों को कोर्स की किताबें बदलने को राजी कर लिया है। पब्लिसर्स के एजेंट इस काम में दीपावली से लगे थे।
बुक सेलरों के मुताबिक शहर के करीब तीन दर्जन स्कूल सभी कक्षाओं के कोर्स में बड़ा फेरबदल कर रहे हैं, जबकि शेष स्कूल हर कक्षा के कोर्स में कुछ किताबें बदल रहे हैं। कोर्स में शामिल की जा रही किताबें वर्तमान में चल रही किताबों से महंगी हैं। इससे अलग-अलग कक्षा के कोर्स के दाम 100 से 500 रुपए तक बढ़ने की संभावना है। उल्लेखनीय है कि शहर में सीबीएसई से संबद्ध 62, आईसीएसई से संबद्ध 3 और स्कूल शिक्षा विभाग से संबद्ध 1298 प्राइवेट स्कूल हैं।
इन पब्लिसर्स की किताबें लगेंगी
राजधानी में चार बड़े बुक सेलर हैं, जो शहर और आसपास स्थित नामचीन निजी स्कूलों में कोर्स लगाते हैं। इन बुक सेलरों ने मुनाफा बढ़ाने के लिए अपने सहयोगियों से मिलकर पब्लिकेशन तैयार कर लिए हैं। इस साल स्कूलों में लगने वाले कोर्स की ज्यादातर किताबें ये ही पब्लिकेशन तैयार कर रहे हैं। स्कूल ट्रेशियन पब्लिकेशन, सृजन पब्लिकेशन, रत्न सागर पब्लिकेशन, गोयल ब्रदर्स, ऑक्सफोर्ट, पियर्सन लांगमैन, ओरिएंट ब्लैक स्वान, एवरग्रीन, एप्टेक पब्लिकेशन, कॉरडोबा पब्लिकेशन, बिटानिका पब्लिकेशन आदि से किताबें लेंगे।
कमीशन के फेर में नहीं चलती NCERT की किताबें
निजी स्कूल प्राइवेट पब्लिसर्स की किताबें ज्यादा कमीशन के चक्कर में कोर्स में शामिल करते हैं। अपनी किताब कोर्स में शामिल करने के बदले पब्लिसर्स स्कूलों को प्रति किताब 70 फीसद तक कमीशन देता है। किताब कोर्स में शामिल होने के बाद पब्लिसर्स स्कूल की पसंद के बुक सेलर को किताबें उपलब्ध कराते हैं और कमीशन स्कूल और बुक सेलर के बीच बंटता है। यही वजह है कि स्कूल एनसीईआरटी की किताबें नहीं चलाते हैं।
ऐसे मिल रहा प्रशासन का सहयोग
स्कूल और पब्लिसर्स की मोनोपॉली में प्रशासन भी सहयोगी की भूमिका निभा रहा है। प्रशासन ने पहले तो कोर्स की सूची जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) कार्यालय में जमा करने के आदेश देने में देरी की। जैसे-तैसे आदेश ही दिए, तो वे स्कूलों तक पहुंचाए ही नहीं गए हैं। जबकि स्कूलों को 31 जनवरी तक कोर्स की सूची जमा करनी है।
ऐसा करके स्कूलों को सूची जमा करने के लिए अतिरिक्त मौका दिया जा रहा है, ताकि छोटे बुक सेलरों को समय से किताबों की सूची नहीं मिले। सूची नहीं मिलने के कारण वे किताबों का इंतजाम नहीं कर पाएंगे और स्कूल एवं बड़े बुक सेलरों की मोनोपॉली चलती रहेगी।
छोटे बुक सेलर्स को मौका नहीं
ये पब्लिकेशन सिर्फ बड़े बुक सेलर्स को माल देते हैं। वह भी उनकी शर्त पर। छोटे बुक सेलर्स को तो आसपास भी नहीं फटकने देते। शहर में जो बड़े बुक सेलर्स हैं, जो सीधे स्कूलों से संपर्क रखते हैं। स्कूलों का अनुबंध इन्हीं से होता है। इसलिए शहर के चुनिंदा स्कूलों की किताबें सिर्फ इन्हीं बुक सेलर्स के पास मिलती हैं। छोटे बुक सेलर्स यदि किसी स्कूल की किताबें रखना भी चाहें, तो बड़े बुक सेलर्स की कृपा के बगैर संभव नहीं है।
ऐसे में बड़े बुक सेलर्स कोर्स के चंद सेट देते हैं। उल्लेखनीय है कि प्रियंका बुक्स डिपो मारवाड़ी रोड, स्नेह बुक सेंटर, महेश ट्रेडर्स जिंसी, सुरेश स्टेशनरी बैरागढ़ आदि शहर के बड़े बुक सेलर हैं। शहर के छोटे बुक सेलर इन्हीं से बुक्स खरीदकर स्कूलों में सप्लाई करते है।
संभाग के सभी निजी स्कूलों से आने वाली कोर्स की सूची पर नजर रखी जाएगी। यदि पूरा कोर्स बदला गया है, तो स्कूल से कारण पूछेंगे। वहीं स्कूलों को समय से सूची जमा करनी होगी। राजधानी में स्कूलों तक निर्देश क्यों नहीं पहुंचे, दिखवाता हूं। - डीएस कुशवाह, संभागीय संयुक्त संचालक (लोक शिक्षण) भोपाल
डीईओ से रिपोर्ट तलब की जाएगी। जिन स्कूलों ने अब तक कोर्स की किताबों की सूची नहीं दी है, उनके खिलाफ नियम अनुसार निर्णय लिया जाएगा। - बीएस जामौद, एडीएम