बीमा कम्पनी वयस्क बेटे को क्लेम देने से मुकरी

इंदौर। कोई भी बच्चे जो पढ़ाई कर रहे हैं, भले ही वयस्क हों उन्हें पिता पर आश्रित माना जाना चाहिए। एक्सीडेंट के एक केस में यह टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने परिवार को 25 लाख रुपए मुआवजा देने के आदेश दिए।

बिजली कंपनी में लाइनमैन के पद पर पदस्थ अंबाराम मालवीय (50) निवासी ग्राम टोकखुर्द की 10 अप्रैल 2013 को एबी रोड पर हुए सड़क हादसे में मौत हो गई थी। वे अपनी मोटर साइकिल से देवास की ओर जा रहे थे कि टोंकखुर्द चौराहे पर मक्सी की तरफ से आ रहे ट्रक नंबर यूपी 78 सीएन 3691 ने उन्हें पीछे से टक्कर मारी। अंबाराम की मौके पर ही मौत हो गई। 

उनकी मृत्यु के बाद पत्नी राधाबाई, बेटे मनोज (23), पंकज (21) और नीरज (18) ने एडवोकेट राजेशकुमार खंडेलवाल के माध्यम से तृतीय अतिरिक्त मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण के समक्ष क्लेम केस पेश किया। इसमें गुहार लगाई कि अंबाराम की मृत्यु के बाद परिवार के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। बीमा कंपनी ने क्लेम को यह कहते हुए खारिज करने की गुहार लगाई कि अंबाराम के तीनों बेटे वयस्क हैं। उनके भरण-पोषण की जिम्मेदारी मृतक की नहीं मानी जा सकती। 

कोर्ट ने इस केस में परिवार को 25 लाख रुपए का क्षतिपूर्ति देने का आदेश देते हुए कहा कि अंबाराम के बेटे पंकज और नीरज वयस्क हैं, लेकिन दोनों विद्यार्थी हैं। ऐसे बच्चे जो भले ही वयस्क हों, लेकिन जो पढ़ाई कर रहे हैं, उन्हें पिता पर आश्रित माना जाना चाहिए। एक बेटे जो कुछ नहीं करता उसे आश्रित नहीं माना जा सकता। इसलिए अंबाराम की पत्नी और दोनों बेटों को क्षतिपूर्ति राशि पाने का अधिकार है। 

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