जबलपुर। मेडिकल माफिया के दबाब में काम कर रही मप्र सरकार स्वाइन फ्लू के विज्ञापनों पर तो करोड़ों लूटा देती है, लेकिन स्वाइन फ्लू लैब की स्थापना कराना नहीं चाहती. इसका खुलासा हाईकोर्ट में आये केंद्र सरकार के जबाव से हुआ।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के पूर्व निर्देश के पालन में केन्द्र व राज्य शासन ने स्वाइन फ्लू लैब की स्थापना के संबंध में अपने-अपने जवाब पेश कर दिए। इसके तहत बताया गया कि एक मेडिकल कॉलेज में स्वाइन फ्लू लैब स्थापित करने में लगभग 9 करोड़ रुपए का खर्च आएगा।
मुख्य न्यायाधीश अजय माणिकराव खानविलकर व जस्टिस संजय यादव की डिवीजन बेंच में मध्यप्रदेश शासन की ओर से प्रस्तुत जानकारी के आधार पर केन्द्र की ओर से अंडरटेकिंग दी गई कि यदि राज्य शासन विधिवत प्रपोजल तैयार करके पेश करे तो बिना देर किए मेडिकल कॉलेजों में स्वाइन फ्लू लैब स्थापित करने के लिए अपेक्षित फंड रिलीज कर दिया जाएगा।
हाईकोर्ट ने केन्द्र व राज्य के जवाबों पर गौर करने के बाद कहा कि प्रदेश के तीन मेडिकल कॉलेज जबलपुर व ग्वालियर की तरह सभी मेडिकल कॉलेजों में स्वाइन फ्लू जैसी महामारी से मुकाबले के लिए समुचित इंतजाम होने चाहिए। लिहाजा, राज्य की जिम्मेदारी है कि बिना देर किए अपना प्रपोजल केन्द्र के समक्ष भेजे। इससे स्थायी सुविधा उपलब्ध हो जाएगी।
मामले की सुनवाई के दौरान जनहित याचिकाकर्ता इंदौर निवासी अजय मिश्रा व होशंगाबाद निवासी भगवती उर्फ भावना विष्ट का पक्ष अधिवक्ता अभिषेक अरजरिया व प्रमोद सिंह तोमर ने रखा। उन्होंने दलील दी कि पिछले दिनों राज्य के विभिन्न हिस्सों में स्वाइन फ्लू के मरीजों की संख्या बढ़ गई थी। इसके बावजूद राज्य ने अब तक ठोस कदम नहीं उठाए। यह रवैया चिंताजनक है। कायदे से इंदौर सहित अन्य जिलों में अविलंब स्वाइन फ्लू लैब की स्थापना होनी चाहिए।