
शिवहरे बंधुओं के कारोबार में राजनेताओं और प्रदेश के प्रमुख अधिकारियों की काली कमाई भी लगी है। शिवहरे बंधुओं की सबसे बड़ी विशेषता है कि हर साल शराब के धंधे में करोड़ों रुपए का घाटा होने का रोना रोते हैं और अपने साझेदारों की तिजौरियां खाली करा देते हैं। इसके बाद भी प्रदेश के कई जिलों के सिंडीकेट पर इनका कब्जा है। प्रदेश के बाहर भी इनके ठेके हैं। सत्ताधारियों से भी शिवहरे बंधुओं के दोस्ताना ताल्लुकात किसी से छिपे नहीं है।
पिछले 30 साल से शराब के कारोबार से जुड़े लक्ष्मीनारायण शिवहरे व लल्ला शिवहरे की काली कमाई पर पहली बार आयकर विभाग की नजर पड़ी है। इससे पहले छोटे-मोटे सर्वे आयकर विभाग करता रहा है। शिवहरे बंधुओं के यहां छापा पड़ते ही पूरे प्रदेश में खलबली मच गई है। क्योंकि इनके धंधे में अंचल के एक मंत्री के अलावा व्यापारियों व प्रदेश के आला अफसरों का पैसा लगा है।
पहले दुश्मन थे, अब साझेदार
लक्ष्मीनारायण शिवहरे व लल्ला शिवहरे एक दूसरे के प्रतिद्वंदि थे और एक दूसरे को देखना तक पसंद नहीं करते थे। एक दूसरे की मुखबरी करने के साथ-साथ एक दूसरों को नीचा दिखाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ते थे, लेकिन तेल के कारोबार से जुड़े व भाजपा नेता के भाई ने लक्ष्मीनारायण शिवहरे व लल्ला शिवहरे के बीच न केवल दोस्ती कराकर साझेदार बनवाया और धंधे के लिए पैसा भी फायनेंस किया।
दतिया के जिगना से आया है लल्ला का परिवार
लल्ला शिवहरे मूल रूप से दतिया जिले के जिगना गांव के रहने वाले हैं। लल्ला के तीन भाई हैं। रघुवर दयाल शिवहरे, रमेश शिवहरे, अशोक शिवहरे। लल्ला परिवार में चौथे नंबर का हैं। सबसे पहले शराब के कारोबार में लल्ला शिवहरे और उसका दूसरे नंबर का भाई रमेश शिवहरे आया। रमेश ने सबसे पहले डबरा में देसी शराब का ठेका लिया। इस पर लल्ला बैठता था। लल्ला के तीसरे नंबर के भाई अशोक का देहांत हो चुका है। रघुवर दयाल के बेटे लल्ला का कारोबार देखते हैं। लल्ला की ससुराल नई सड़क पर है। एक बहन है, जिसका विवाह भी शहर में ही हुआ है।
झांसी के बैजनाथ व सुरेंद्र राय के साथ शुरू किया धंधा
लल्ला ने झांसी के ठेकेदार बैजनाथ व सुरेंद्र राय के साथ ठेके लेने शुरू किए। पहले उनके साथ बगैर पैसा इंवेस्ट किए पार्टनर बना।
बहनोई की मदद से ठेकेदार बना लक्ष्मीनारायण
लक्ष्मीनारायण शिवहरे भी मुरैना में रहने वाले अपने बहनोई की मदद से इस धंधे में आया और आज बड़ा ठेकेदार बन गया। लक्ष्मीनारायण के भी चार भाई हैं। लक्ष्मीनारायण पर कंपू की देसी कलारी पर हमला भी हो चुका है। लक्ष्मीनारायण शिवहरे को भी भिंड के समाजबंधु का साथ मिला और सबसे ज्यादा मदद भाजपा नेता के बड़े भाई ने की।
एक परमिट पर आता कई ट्रक माल
शराब ठेकेदारों की मूल कमाई एक परमिट पर कई ट्रक माल मंगाने पर होती है। शराब व बीयर डिस्टलरी से निकालने के लिए परमिट बनता है। इस परमिट पर ट्रक को डिस्टलरी से निकालने के समय से लेकर जिस स्थान पर ट्रक पहुंचना है वह समय भी रहता है। साथ ही किस रास्ते से जाएगा वह भी अंकित होता है, लेकिन आबकारी विभाग व पुलिस की मिलीभगत से एक परमिट पर कई ट्रक माल नंबर-2 में आ जाता है। क्योंकि गोलमाल करने के लिए परमिट पर तारीख नहीं डाली जाती है, लेकिन इसकी कार्बन कॉपी पर तारीख होती है। ट्रक के पकड़ में आने पर परमिट पर तत्काल तारीख अंकित कर दी जाती है।
मंत्री का भी संरक्षण
अंचल के एक ताकतवर मंत्री से भी लल्ला शिवहरे व लक्ष्मीनारायण शिवहरे से करीबी संबंध हैं। सूत्रों का कहना है कि मंत्री अप्रत्यक्ष रूप से इनके धंधे में साझेदार भी हैं। इसलिए प्रदेश में इनके धंधे पर कोई नजर नहीं डालता है।