दिल्ली रेप कांड के डर से नहीं किया रेप का विरोध

फिल्‍म मेकर महमूद फारुखी पर रेप का आरोप लगाने वाली अमेरिकी रिसर्च स्‍कॉलर ने घटना का ‘विरोध’ इसलिए नहीं किया क्‍योंकि उन्‍हें डर था कि उनकी भी 16 दिसंबर गैंगरेप केस की पीडि़ता की तरह हत्‍या कर दी जाए। अमेरिकी रिसर्च स्‍कॉलर की वकील ने गुरुवार को कोर्ट में यह जानकारी दी।

पीपली लाइव के सहनिर्देशक रहे फारुखी से जुड़े रेप केस के मामले में कोर्ट में चल रही बहस के दौरान शिकायतकर्ता की वकील ने बताया कि रिसर्च स्‍कॉलर को यह पता था कि अगर उसने विरोध किया तो ‘नतीजे गंभीर’ हो सकते हैं। एडवोकेट वृंदा ग्रोवर ने पीडि़ता की ओर से कहा, ” बयान दर्ज होने के दौरान पीड़िता ने कोर्ट को कहा है कि उसे वारदात के वक्‍त निर्भया केस पर बनी डॉक्‍यूमेंट्री याद आ गई। इसमें रेपिस्‍ट ने कहा था कि अगर निर्भया ज्‍यादा विरोध नहीं करती तो वो जिंदा बच सकती थी। आरोपी (फारुखी) ने मेरे मुवक्‍क‍िल के खिलाफ ताकत का इस्‍तेमाल किया और उसे नीचे गिरा दिया। इसके बाद, वो ठहर सी गई। वो जानती थी कि अगर उसने रेप का विरोध किया तो इसके गंभीर नतीजे हो सकते हैं।”

वृंदा ने कोर्ट से कहा, ”चूंकि पीडि़ता एक विदेशी है, इसलिए उसके बर्ताव को सांस्‍कृतिक परिप्रेक्ष्‍य में देखा जाना चाहिए। वो ये बात अच्‍छे से जानती है कि मर्जी और बिना मर्जी में क्‍या फर्क है? अगर उसने मर्जी से किस किया है तो उसने कभी इनकार नहीं किया और ईमानदारी से इस बारे में बताया। जब उसके साथ जोर जबरदस्‍ती की गई और उसके मर्जी के खिलाफ काम किया गया तो उसने शिकायत की। उसने अब तक पुलिस, मजिस्‍ट्रेट और गवाही के दौरान जो कुछ भी कहा है, उस पर कायम रही है। उसने कोर्ट से कोई भी तथ्‍य छिपाया नहीं है।” पीडि़ता के वकील ने बचाव पक्ष के वकील के उस दलील को भी खारिज किया, जिसमें कहा गया था कि अमेरिकी रिसर्च स्‍कॉलर का दिमागी संतुलन सही नहीं है। वृंदा के मुताबिक, रेप का यह मामला इसलिए भी गंभीर है क्‍योंकि ऐसा एक ‘विश्‍वासपात्र दोस्‍त’ के जरिए किया गया।

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