चंडीगढ़। तीन दोस्तों आशीष बाली, विक्रम निझावन और भुवन वडेरा की कंपनी जंबो बास्केट स्टार्टअप्स का एक शानदार उदाहरण है। तीन दोस्त अलग-अलग फील्ड से हैं। आशीष ताज होटल में सिक्योरिटी मैनेजर थे तो भुवन डेराबस्सी की एक फैक्टरी में आपरेशन मैनेजर, जबकि विक्रम का मोबाइल बिजनेस था।
विक्रम ने दोनों को बताया कि ई-कामर्स कंपनियों का 20 से 30 प्रतिशत सामान रिटर्न हो जाता है। सामान खुलने के बाद वह कंपनी के लिए बेकार हो जाता है। इस सामान को खरीद कर छोटे ट्रेडर्स को बेचा जा सकता है। आइडिया समझ में आते ही आशीष और भुवन ने अपनी नौकरी छोड़ दी और तीनों ने जंबो बास्केट कंपनी बनाई। 40 वर्षीय आशीष बाली ने बताया कि अब सामान छोटे ट्रेडर्स को ई-कंपनी से डायरेक्ट मिल रहा है। पहले वह दलालों के जरिए उन तक पहुंचता था।
कंपनी को मिली फंडिंग
जंबो बास्केट को चंडीगढ़ एंजिल नेटवर्क की ओर फंडिग मिल रही है। उनके आइडिया को काफी पसंद किया गया है। कई अन्य लोग भी कंपनी को फंडिंग कर रहे हैं। कंपनी को पिछले साल ही लांच किया गया है। अब तक कंपनी डेढ़ करोड़ रुपये से ज्यादा का सामान बेच चुकी है। कंपनी फिलहाल मोबाइल फोन का काम कर रही है।