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भारत पाकिस्तान कश्मीर समस्या समाधान पर एक नजर
युद्धविराम रेखा निर्धारित हो जाने के फलस्वरुप पाकिस्तान के पास कश्मीर का कुछ क्षेत्र रह गया। इस क्षेत्र मे मुस्लिम जनसंख्या निवास करती थी। पाकिस्तान ने इस अधिकृत क्षेत्र को आजाद कश्मीर का नाम दिया।
पंडित जबाहरलाल नेहरु जनमत संग्रह की अपनी वचनबद्धता का पालन करना चाहते थे परन्तु पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्रसंघ की शर्तो का उल्लंघन कर अधिकृत क्षेत्र आजाद कश्मीर से अपनी सेनाएॅ नही हटाई थी। कबाइली भी वही बने हुये थे। अतः जनमत संग्रह कराया जाना सम्भव नही था। पाकिस्तान कश्मीर को छोडना नही चाहता था। बल्कि उसका दावा भारत के नियंत्रण मे स्थित कश्मीर पर भी था। अतः उसने अपनी सैनिक शक्ति में बृद्धि की तथा शक्तिशली राष्ट्र अमेरिका से संधिकर अपना पक्ष मजबूत करने का प्रयास किया। पाकिस्तान ने 1954 मे अमेरिका से संधि की और 1955 में वह सीटो नामक संगठन का सदस्य भी बन गया। इसका सदस्य बनने से उसे अमेरिका की सहानुभूति प्राप्त हुई। इसके बदले उसे कुछ सामरिक अडडे भी प्राप्त हुएॅ इन परिस्थतियो मे पंडित जबाहरलाल नेहरु ने कश्मीर नीति मे परिवर्तन किया। उन्होने जब तक पाकिस्तान अपनी सेना नही हटा लेता तब तक जनमत संग्रह मना किया। कश्मीर के प्रश्न पर सोवियत संघ ने भारत का समर्थन किया। इस समर्थन से भारत की स्थिति मजबूत हो गयी।
6फरवरी 1954 को कश्मीर की बिधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित कर जम्मू कश्मीर राज्य का विलय भारत मे करने की सहमति प्रदान की। भारत सरकार ने 14 मई 1954 को संबिधान मे संशोधन कर अनुच्छेद 370 के अंतर्गत जम्मू कश्मीर को बिशेष दर्जा प्रदान किया। 26 जनवरी 1957 को जम्मू कश्मीर का संबिधान लागू हो गया। इसके साथ ही जम्मू कश्मीर भारतीय संघ का एक अभिन्न अंग बन गया। इसके बाद पाकिस्तान निरन्तर कश्मीर का प्रश्न उठाकर वहीॅ राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने का प्रयास करता रहा है। पाकिस्तान ने इस मामले को सुरक्षा परिषद मे उठाकर जनमत संग्रह की मांग की पाकिस्तान को इस प्रश्न पर अमेरिका, ब्रिटेन और फ्राॅस का समर्थन प्राप्त रहा। परन्तु भारत ने इसका बिरोध किया। भारत की मित्रता सोवियत संघ के साथ थी अतः सोवियत संघ ने बिशेषाधिकार का प्रयोग कर मामले को ठण्डा किया।
1962 मे पाकिस्तान ने कश्मीर मे पुनः जनमत संग्रह की माॅग उठाई।परन्तु पुनः सोवियत संघ ने अपने बिशेषाधिकार का उपयोग किया।
पाकिस्तान मे जितनी सरकारे आयी है। वे कश्मीर के प्रश्न को जीवंत रखने का प्रयास करती है,जबकि भारत के लिये यह प्रश्न उसकी अखण्डता एवं सम्मान का प्रश्न है।
26 मार्च 1971 को शेख मुजीब के नेतृत्व मे स्वतन्त्र बांग्लादेश की घोषणा गुप्त रेडियो से की गई।
8 दिसम्बर 1971 को ही बांग्लादेश ने हुसैन अली को भारत मे अपना प्रथम राजदूत नियुक्त कर दिया।
10 दिसम्बर 1971 को भारत के साथ बाग्ंलादेश की प्रथम संधि हुई।