न्याय के लिए सीधे कोर्ट नहीं जा पाएंगे संविदा अधिकारी व कर्मचारी

भोपाल। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में संविदा पर कार्यरत अधिकारी व कर्मचारी विवाद हाेने पर अब सीधे अदालत नहीं जा सकेंगे। इस स्थिति में पहले उन्हें विभाग द्वारा नियुक्त आर्बिट्रेटर से आमना- सामना करना पड़ेगा। विभाग ने पहले से लागू समेकित संविदा नीति में हाल ही में बदलाव किया है। नीति के तहत संविदा कर्मचारियों से किए जाने वाले करार की शर्तों में इसका जिक्र किया गया है। 

विभाग के तहत विभिन्न 11 प्रोजेक्ट, कार्यक्रमों, संगठनों और परिषद में संविदा आधार पर नियुक्त अधिकारियों व कर्मचारियों पर ये शर्तें लागू होंगी। विभाग की अपर मुख्य सचिव अरुणा शर्मा ने हाल ही इसे जारी किया है। करारनामे के साथ विभाग द्वारा दी जाने वाली दो पेज की इन शर्तों में 14वें नंबर पर इसका जिक्र है। इसमें प्रावधान है कि संविदा अवधि के दौरान दोनों पक्षों के बीच यदि किसी प्रकार का कोई विवाद होता है तो अंतिम निर्णय एक मात्र आर्बिट्रेटर यानी विभाग के सचिव का होगा। इसके निपटारे का क्षेत्राधिकार भोपाल होगा। विभाग ने नई नीति में इन कर्मचारियों को थोड़ी राहत भी दी है। इनके लिए संविदा एक से बढ़ाकर दो साल कर दी है। इसमें वेतन हर साल बढ़ेगा यह साफ नहीं किया गया है। एक साल की अवधि के करार के तहत काम कर रहे इन कर्मचारियों का हर साल वेतन बढ़ता है। 

विभाग बगैर सूचना दिए हटा देगा: नीति में यह भी उल्लेख है कि संविदा कर्मचारी की अवधि पूरी होने पर नियुक्ति अपने अाप खत्म हाे जाएगी। विभाग ऐसे किसी भी कर्मचारी को पहले कोई सूचना या पत्र नहीं देगा। सेवाएं तय अवधि के पहले विभाग या नियोक्ता द्वारा एक महीने की सेलरी देते हुए बिना किसी नोटिस के बिना कारण बताए समाप्त कर देगा। ऐसे कर्मचारी यदि नौकरी छोड़ेंगे तो उन्हें एक महीने पहले सूचना देगा होगा। 

कर्मचारी बोले-नीति बदलो नहीं, तो आंदोलन करेंगे 
मप्र संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ ने इस नीति में बदलाव की मांग को लेकर प्रदेशव्यापी आंदोलन का अल्टीमेटम दिया है। महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष रमेश राठौर ने बताया कि विभाग ने बदली हुई नीति में करार को लेकर कई ऐसे शर्तें जोड़ दी गईं जिनसे मूलभूत व मानव अधिकारों का ही उल्लंघन हो रहा है। राठौर ने आरोप लगाते हुए कहा कि नीति के मसौदे के जरिए कर्मचारियों का शोषण करने की तैयारी की जा रही है। यदि जल्द ही यह नीति नहीं बदली गई तो प्रदेश के दो लाख से ज्यादा संविदा कर्मचारी सड़क पर उतरकर इसका विरोध करेंगे। बुधवार को प्रांतीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई गई है। इसमें रणनीति तय की जाएगी। 

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